मारे गए आतंकियों के कब्जे से बरामद डायरी यह बयान करती थी कि उस पार आतंकवादियों के लिए अब नए कैम्प भी सक्रिय हैं और हजारों की तादाद इस ओर आने को उतावली है। उतावले आतंकी हैं या फिर पाक सेना के अधिकारी उन्हें इस ओर धकेलेने को उतावले हैं यह चर्चा का विषय नहीं है बल्कि चर्चा इस बात की है कि मारे गए आतंकी अत्याधुनिक हथियारों, अत्याधुनिक जीपीएस सिस्टम, मोबाइल, सेटेलाइट फोनों और बर्फ में जंग की परिस्थितियों में जिन्दा रहने लायक सामान लेकर आए थे। उनके पावों में विदेशी स्नो बूट थे तो उनकी डायरी कहती थी कि पाक सेना अब उन्हें स्नो स्कूटरों का भी प्रशिक्षण दे रही है।
यही कारण है कि इस बार फिर बर्फबारी के कारण तारबंदी के उसके नीचे दबे होने पर सैनिकों को अधिक सतर्क रहना पड़ रहा है, लेकिन उनकी सतर्कता उस समय कई बार काम नहीं आती जब आतंकी नए ऐसे रास्तों की तलाश कर इस ओर घुसे आते हैं जिनके प्रति सेना के जवानों ने सोचा भी नहीं होता। ऐसे दलों को ढूंढ पाना सेना के लिए अब आसान नहीं रहा है तो आतंकियों के लिए ऐसे रास्तों से घुस कर भीतर आना आसान इसलिए हो गया है क्योंकि वे अब अपने साथ जीपीएस अर्थात ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम को लेकर चलने लगे हैं।