मोदी सरकार पर सोनिया का निशाना, सबसे मुश्किल दौर से गुजर रहा है भारतीय लोकतंत्र

सोमवार, 19 अक्टूबर 2020 (08:08 IST)
नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रविवार को कहा कि भारतीय लोकतंत्र अपने सबसे मुश्किल दौर से गुजर रहा है। सोनिया ने पार्टी की एक बैठक की अध्यक्षता करते हुए यह बात कही। इसमें कृषि कानूनों और दलितों पर कथित अत्याचार के मामलों पर देशभर में विरोध-प्रदर्शनों की रूपरेखा पर विचार किया गया।
 
कांग्रेस महासचिवों और प्रदेश प्रभारियों की बैठक की अध्यक्षता करते हुए सोनिया गांधी ने 3 कृषि कानूनों, कोविड-19 महामारी से निपटने, अर्थव्यवस्था की हालत और दलितों के खिलाफ कथित अत्याचार के मामलों पर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला।
ALSO READ: बिहार चुनाव : सोनिया, मनमोहन, राहुल सहित 30 नेता होंगे कांग्रेस के स्टार प्रचारक
बैठक के बाद कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि पार्टी ने केंद्र में भाजपा नीत सरकार की 'किसान विरोधी, महिला विरोधी, गरीब विरोधी और जनविरोधी' नीतियों के खिलाफ कार्यक्रमों की श्रृंखला शुरू करने का फैसला किया है। पिछले महीने कांग्रेस में सांगठनिक स्तर पर बड़े फेरबदल के बाद सोनिया गांधी ने पहली बार महासचिवों और राज्य प्रभारियों की बैठक की अध्यक्षता की।
 
पार्टी ने कहा कि किसान विरोधी विधेयकों के संयुक्त विरोध और हाथरस की बलात्कार पीड़िता के लिए न्याय के लिए हमारी प्रतिबद्ध लड़ाई की दिशा में 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती और इंदिरा गांधी के बलिदान दिवस को 'किसान अधिकार दिवस' के तौर पर मनाने का फैसला किया गया है।
ALSO READ: Kangana Ranaut : महाराष्ट्र सरकार ने जो मेरे साथ किया, क्या आपको गुस्सा नहीं आता सोनिया जी?
किसान अधिकार दिवस के तहत कांग्रेस कृषि कानूनों के खिलाफ सुबह 10 से शाम 4 बजे तक प्रत्येक जिला मुख्यालय में 'सत्याग्रह और उपवास' करेगी। पार्टी 5 नवंबर को 'महिला और दलित उत्पीड़न विरोधी दिवस' मनाएगी जिसमें सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक प्रत्येक प्रदेश मुख्यालय में राज्यस्तरीय धरना दिया जाएगा।
 
वेणुगोपाल ने कहा कि पार्टी इन आयोजनों के माध्यम से दलितों के खिलाफ देशभर में लगातार अत्याचार की घटनाओं, खासकर हाथरस की पीड़िता और उसके परिवार के खिलाफ घटना को उजागर करेगी। उन्होंने कहा कि इस साल दिवाली 14 नवंबर को पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती के दिन पड़ रही है और इससे 1 दिन पहले 13 नवंबर को 'नेहरू की विचारधारा और राष्ट्र निर्माण' विषय पर हर प्रदेश मुख्यालय में संगोष्ठी का आयोजन किया जाएगा। 
 
बैठक में यह फैसला भी किया गया कि 14 नवंबर को नेहरू द्वारा निर्मित आत्मनिर्भर भारत की थीम पर 'स्पीक अप फॉर पीएसयू' विषयक ऑनलाइन अभियान चलाया जाएगा। बैठक में सोनिया ने कहा कि हरित क्रांति से मिले फायदों को समाप्त करने की साजिश रची गई है। करोड़ों खेतिहर मजदूरों, बंटाईदारों, पट्टेदारों, छोटे और सीमांत किसानों, छोटे दुकानदारों की रोजी-रोटी पर हमला हुआ है। इस षड्यंत्र को मिलकर विफल करना हमारा कर्तव्य है।
 
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हाल ही में तीनों कानूनों- कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार अधिनियम 2020, कृषक उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्द्धन एवं सरलीकरण) अधिनियम 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020 को मंजूरी प्रदान की थी। गांधी ने दावा किया कि संविधान और लोकतांत्रिक परंपराओं पर सोचा-समझा हमला किया जा रहा है।
 
उन्होंने आरोप लगाया कि देश में ऐसी सरकार है जो देश के नागरिकों के अधिकारों को मुट्ठीभर पूंजीपतियों के हाथों में सौंपना चाहती है। उन्होंने बैठक में अपने आरंभिक उद्बोधन में कहा कि कोरोना वायरस महामारी में न सिर्फ मजदूरों को दर-बदर की ठोकरें खाने को मजबूर किया गया, बल्कि साथ-साथ पूरे देश को 'महामारी की आग में झोंक दिया'गया। 
 
सोनिया ने कहा कि हमने देखा कि योजना के अभाव में करोड़ों प्रवासी श्रमिकों का अब तक का सबसे बड़ा पलायन हुआ और सरकार उनकी दुर्दशा पर मूकदर्शक बनी रही। सोनिया ने कहा कि कड़वा सच यह है कि 21 दिन में कोरोनावायरस को हराने का दावा करने वाले प्रधानमंत्री ने अपनी जवाबदेही से मुंह फेर लिया है। उन्होंने हिन्दी में दिए अपने भाषण में आरोप लगाया कि महामारी के खिलाफ इस सरकार के पास न कोई नीति है, न सोच है, न रास्ता है और ना ही कोई समाधान। गांधी ने दावा किया कि केंद्र सरकार ने देश के नागरिकों की मेहनत और कांग्रेस सरकारों की दूरदृष्टि से बनाई गई मजबूत अर्थव्यवस्था को तहस-नहस कर दिया है।
 
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से अर्थव्यवस्था औंधे मुंह गिरी है, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। आज युवाओं के पास रोजगार नहीं है। करीब 14 करोड़ रोजगार खत्म हो गए। छोटे कारोबारियों, दुकानदारों और असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों की रोजी-रोटी खत्म हो रही है, लेकिन मौजूदा सरकार को कोई परवाह नहीं।
 
उन्होंने कहा कि अब तो भारत सरकार अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों से भी पीछे हट गई है। जीएसटी में प्रांतों का हिस्सा तक नहीं दिया जा रहा। प्रांतीय सरकारें इस संकट की घड़ी में अपने लोगों की मदद कैसे करेंगी? देश में सरकार द्वारा फैलाई जा रही अफरा-तफरी और संविधान की अवहेलना का यह नया उदाहरण है।
 
उन्होंने देश में दलितों के दमन का आरोप लगाते हुए कहा कि देश की बेटियों को सुरक्षा देने की बजाय भाजपा नीत सरकारें अपराधियों का साथ दे रही हैं। सोनिया ने कहा कि पीड़ित परिवारों की आवाजों को दबाया जा रहा है। यह कौन सा राजधर्म है?
 
उन्होंने पार्टी महासचिवों और प्रदेश प्रभारियों का आह्वान करते हुए कहा कि देश पर आई इन चुनौतियों का सामना करने का नाम ही कांग्रेस संगठन है। मुझे पूरा विश्वास है कि आप सब अनुभवी लोग इस कठिन समय में खूब मेहनत कर देश पर आए इस संकट का मुकाबला करेंगे और भाजपा सरकार के इन लोकतंत्र तथा देश विरोधी मंसूबों को कामयाब नहीं होने देंगे। (भाषा)

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी