ललिया ने संवाददाताओं से कहा कि मैं कनाडा के वीजा पर गया था। मैंने 5 दिसंबर 2024 को नई दिल्ली से अपना सफर शुरू किया। अगले दिन अबू धाबी से आगे के लिए उड़ान थी, लेकिन मुझे उसमें चढ़ने नहीं दिया गया जिसके बाद मैं दिल्ली लौट आया और वहां 8 दिन रहा। फिर मुझे मिस्र के काहिरा के लिए उड़ान में बिठाया गया, जहां से स्पेन के रास्ते कनाडा के मॉन्ट्रियल जाना था।
ललिया ने बताया कि चार दिन स्पेन में रहने के बाद उन्हें ग्वाटेमाला भेजा गया, वहां से निकारागुआ फिर होंडुरास और मैक्सिको तथा फिर अमेरिकी सीमा पर। उन्होंने दावा किया कि मेरे कुल 49.5 लाख रुपये खर्च हो गए जो मैंने बैंकों से ऋण के तौर पर और दोस्तों तथा रिश्तेदारों से लिये थे। मैं कनाडा के वीजा पर गया था और उस देश में काम करने की मेरी चाहत थी लेकिन मेरे एजेंट की गलती के कारण मुझे यह पीड़ा सहनी पड़ी।
उन्होंने कहा कि इस दौरान काफी मुश्किलें झेलनी पड़ी। मेक्सिको में माफिया ने पकड़ लिया और 10 दिन तक बंधक बनाए रखा। वहां चार घंटे पहाड़ की चढ़ाई की और फिर अमेरिकी सीमा तक 16 घंटे तक पैदल चला। निर्वासन के बारे में ललिया ने बताया कि उन्हें और 103 अन्य लोगों को एक केंद्र में ले जाया गया और फिर हथकड़ी और पैरों में जंजीर डालकर अमेरिकी विमान में चढ़ा दिया गया।
विभिन्न राज्यों के 104 अवैध प्रवासियों को लेकर एक अमेरिकी सैन्य विमान बुधवार को अमृतसर पहुंचा था। अवैध प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई के तहत अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन द्वारा निर्वासित भारतीयों का यह पहला समूह था। निर्वासित किए गए 33-33 लोग हरियाणा और गुजरात से, 30 पंजाब से, 3-3 महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से और 2 चंडीगढ़ से थे। (इनपुट भाषा)