प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर ने कहा कि उच्चतम न्यायालय अतिक्रमण से जुड़े मामले में व्यापक आदेश जारी नहीं कर सकता, क्योंकि यह मामला राज्यों से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि आप सरकार को हर चीज के लिए दोष नहीं दे सकते। अगर कोई व्यक्ति मतदान नहीं करता है तो उसे सरकार से सवाल करने का कोई हक नहीं है। खेहर की अध्यक्षता में सुनवाई कर रही पीठ में न्यायमूर्ति एनवी रामन्ना और डीवाई चन्द्रचूड़ शामिल थे।
पीठ ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के लिए दिल्ली में बैठकर अतिक्रमणों पर ध्यान देना संभव नहीं है और जब भी याचिकाकर्ता सड़कों या फुटपाथ पर इस तरह का अतिक्रमण देखे, वह विभिन्न उच्च न्यायालयों का रुख करे। न्यायालय ने साथ ही कहा कि अगर याचिकाकर्ता उच्च न्यायालयों का रुख नहीं करता है तो उसे लगेगा कि वह उच्चतम न्यायालय महज प्रचार के लिए आया है।