तलाक वाली महिला पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

शुक्रवार, 7 अप्रैल 2017 (07:55 IST)
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि अपने पति को त्यागने के आधार पर तलाक वाली महिला अपने पति से उस अवधि के लिए गुजारे भत्ते का दावा नहीं कर सकती, जब वह अदालत द्वारा तलाक मंजूर होने से पहले अलग रह रही थी।
 
शीर्ष अदालत दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 से जुड़े मामले पर गौर कर रही थी जिसमें मजिस्ट्रेट अदालत पति, बच्चों और माता-पिता के गुजारे भत्ते का आदेश दे सकती है।
 
प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कानूनी प्रावधान का जिक्र किया और कहा कि अगर महिला 'जारकर्म' में रह रही है या उसने बिना किसी पर्याप्त कारण के अपने पति का त्याग किया है या वह आपसी सहमति से अलग रह रही है तो महिला अपने पति से गुजारा भत्ता पाने की हकदार नहीं है।
 
पीठ ने कहा कि अपने पति का त्याग करने वाली पत्नी विवाह के निर्वाह के दौरान मुआवजे की हकदार नहीं है। तलाक के आदेश के बाद वह मुआवजे की हकदार हो जाती है। इस पीठ में न्यायमूर्ति डीवाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति एसके कौल भी शामिल थे।
 
अदालत हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ एक व्यक्ति की अपील पर सुनवाई कर रही थी। उच्च न्यायालय ने सत्र अदालत के महिला को 3 हजार रुपए प्रतिमाह का गुजारा भत्ता मंजूर करने के आदेश को बरकरार रखा था। (भाषा)

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