सोनू सरदार मृत्युदंड मामला : सुप्रीम कोर्ट ने खड़े किए सवाल

गुरुवार, 8 दिसंबर 2016 (23:07 IST)
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने छत्तीसगढ़ में एक ही परिवार के पांच सदस्यों की हत्या के दोषी सोनू सरदार की फांसी की सजा पर दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा रोक लगाने पर गुरुवार सवाल खड़े किए। 
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति अमिताभ रॉय की पीठ ने कहा कि वह इस मामले की सुनवाई 12 जनवरी 2017 को करेगी। न्यायालय ने 2004 के एक मामले में सोनू सरदार को फांसी की सजा सुनाई थी। छत्तीसगढ़ के चेर गांव में डकैती के दौरान एक ही परिवार के पांच सदस्यों की हत्या को न्यायालय ने विरलों में विरलतम मामला करार देते हुए सोनू को मृत्युदंड सुनाया था। 
 
शीर्ष अदालत ने आश्चर्य व्यक्त किया कि आखिर दिल्ली उच्च न्यायालय सोनू की फांसी की सजा पर रोक कैसे लगा सकता है। छत्तीसगढ़ सरकार के वकील अतुल झा ने इसे गम्भीर मामला करार देते हुए इस पर विचार करने का अनुरोध किया। 
 
छत्तीसगढ़ में डकैती के दौरान सोनू सरदार पर पांच लोगों की हत्या का आरोप सिद्ध हो चुका है। 26 नवंबर 2004 को कबाड़ व्यापारी शमीम अख्तर, शमीम की पत्नी रुखसाना, बेटी रानो, बेटे याकूब और पांच महीने की बेटी की हत्या कर दी गई थी। सोनू सरदार समेत पांच लोगों पर हत्या का आरोप लगा था। वर्ष 2008 में निचली अदालत ने सभी आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई।
 
वर्ष 2010 में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने भी फांसी की सजा को बरकरार रखा। बाद में 23 फरवरी 2012 को उच्चतम न्यायालय ने चार लोगों की मौत की सजा आजीवन कारावास में बदल दी थी, लेकिन सोनू सरदार की फांसी की सजा बरकरार रखी थी। इसके बाद सोनू सरदार ने राष्ट्रपति के सामने याचिका लगाई थी, जिसे राष्ट्रपति ने खारिज कर दी। 
 
इस हत्याकांड को लेकर 19 जून 2014 को छत्तीसगढ़ के बैकुंठपुर की अदालत ने सोनू सरदार का डेथ वारंट भी जारी कर दिया था। रायपुर जेल में फांसी की तैयारी भी शुरू हो गई थी, लेकिन अंतिम समय में दो मार्च 2015 को दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोनू सरदार की फांसी पर रोक लगा दी। 
 
दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा था कि चूंकि सोनू सरदार के फांसी पर रोक से संबंधित याचिका को खारिज करने का फैसला राष्ट्रपति ने यहां किया है, इसलिए दिल्ली उच्च न्यायालय मामले की सुनवाई कर सकती है। वहीं छत्तीसगढ़ शासन की तरफ से पेश वकील ने कहा कि हत्याकांड छत्तीसगढ़ में हुआ है इसलिए यह दिल्ली उच्च न्यायालय से अधिकार क्षेत्र से बाहर का मामला है। (वार्ता)

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