नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि उच्च न्यायालयों को सजा बढ़ाने से पहले आरोपियों को नोटिस देना जरूरी है ताकि उन्हें अपने बचाव का मौका मिल सके। न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने राजस्थान उच्च न्यायालय के उस आदेश को खारिज कर दिया जिसमें हत्या के एक मामले में अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
पीठ ने कहा कि निस्संदेह उच्च न्यायालय स्वत: संज्ञान से अपनी शक्तियों का प्रयोग कर सकता था और सजा को बढ़ा सकता था। हालांकि ऐसा करने से पहले उच्च न्यायालय को अपीलकर्ताओं को नोटिस देना आवश्यक था। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय के फैसले और आदेश के परिणामस्वरूप, अपीलकर्ताओं को अपने मामले का बचाव करने का अवसर दिए बिना उनकी सजा को बढ़ा दिया गया।