अदालत ने कहा कि लिव इन रिलेशनशिप अब विधायिका द्वारा मान्यता प्राप्त है, जिसे घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 से महिलाओं के संरक्षण के प्रावधानों के तहत स्थान मिला है।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश अप्रैल 2017 के एक मामले में आया है। इसमें शादी के समय लड़की तुषारा 19 साल की थी और लड़का नंदकुमार 20 साल का था। लड़की के पिता का आरोप था कि लड़के ने उनकी बेटी का अपहरण कर लिया, जिसके बाद केरल उच्च न्यायालय ने इस शादी को रद्द कर दिया और लड़की को उसके पिता के पास भेज दिया था।