प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने 2012 के निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले का जिक्र करते हुए कहा कि इन घटनाओं ने राष्ट्र के मानस को झकझोर दिया था। इस तरह के मामलों में विलंब ने आंदोलन और लोगों के मन में अशांति को जन्म दिया।
पीठ ने इस तरह के मामलों में जांच, साक्ष्य जुटाना, फारेंसिक और मेडिकल साक्ष्य, पीड़ित के बयान दर्ज करना और मुकदमे की सुनवाई की समय सीमा सहित अनेक पहलुओं पर सभी राज्यों और उच्च न्यायालयों से 7 फरवरी तक स्थिति रिपोर्ट मांगी है।