रोहिंग्या पर कोर्ट का जवाब, इसलिए नहीं देंगे शरण

सोमवार, 18 सितम्बर 2017 (12:56 IST)
केन्द्र सरकार ने रोहिंग्या मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में पेश जवाब में कहा कि रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में शरण नहीं दे सकते, क्योंकि उनमें से कुछ आतंकवाद में भी शामिल हैं।
 
सरकार ने अदालत को दिए 15 पन्नों के जवाब में कहा कि रोहिंग्या मुसलमानों को संवधानिक अधिकार नहीं दे सकते। उनका भारत में रहना गैरकानूनी है। सरकार ने कहा कि चूंकि कुछ रोहिंग्या मुसलमान आतंकवादी घटनाओं में भी शामिल रहे हैं, ऐसे में उन्हें भारत में शरण नहीं दी सकती। अत: इस मामले में दखल नहीं दे।

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रोहिंग्या मुस्लिमों पर केंद्र के 15 पन्नों के इस हलफानामे में केंद्र ने कहा कि कुछ रोहिंग्या शरणार्थियों के पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों से संपर्क का पता चला है। ऐसे में ये राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से खतरा साबित हो सकते हैं। इसके साथ ही केंद्र ने आशंका जताई कि म्यांमार से अवैध रोहिंग्या शरणार्थियों के भारत में आने से क्षेत्र की स्थिरता को नुकसान पहुंच सकता है।
 
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने कहा कि कुछ रोहिंग्या हुंडी और हवाला के जरिये पैसों की हेरफेर सहित विभिन्न अवैध व भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल पाए गए। कुछ रोहिंग्या दूसरे लोगों को भारत में प्रवेश दिलाने के लिए जाली पैन कार्ड और वोटर आईडी जैसे भारतीय पहचान पत्र बनाने व हासिल करने तथा मानव तस्करी में भी शामिल पाए गए हैं।

न्यायालय करेगा फैसला : केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथसिंह ने कहा कि रोहिंग्या शरणार्थियों के मसले पर कोई भी निर्णय न्यायालय लेगा। रोहिंग्या शरणार्थियों के मसले पर केन्द्र सरकार ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय में 15 पृष्ठों का हलफनामा दायर किया है जिसमें उनका देश में आना और रहना सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताया गया है।

सिंह ने हलफनामा दायर किए जाने के बाद कहा कि रोहिंग्या पर जो भी निर्णय होगा वह न्यायालय लेगा। उन्होंने कहा कि मेरी राय है कि हमें न्यायालय के फैसले का इंतजार करना चाहिए। न्यायालय में इस मामले पर अब तीन अक्टूबर को सुनवाई होगी। 

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इससे पहले गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने रोहिंग्या शरणार्थियों के मसले पर अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों को पर निशाना साधते हुए कहा  कि संगठनों को 'भारत के बारे में गलत सूचना' नहीं फैलानी चाहिए। रिजिजू ने कहा कि देश की सुरक्षा हमारा कर्तव्य है। उन्होंने रोहिंग्या शरणार्थियों के देश से जाने की बात पर कहा कि उनका जाना देश हित का मामला है। उन्होंने इस मसले को 'संवेदनशील' बताया और कहा कि सरकार जो भी निर्णय लेगी, वह देशहित में लेगी।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने भारत में अवैध रूप से रह रहे म्यामांर के रोहिंग्या समुदाय के लोगों के भविष्य को लेकर सरकार से अपनी रणनीति बताने को कहा था। सरकार द्वारा रोहिंग्या समुदाय के लोगों को वापस म्यांमार भेजने के फैसले के खिलाफ याचिका को सुनने के लिए स्वीकार करते हुए कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा था।
 
दो रोहिंग्या शरणार्थियों मोहम्मद सलीमुल्लाह और मोहम्मद शाकिर द्वारा पेश याचिका में रोहिंग्या मुस्लिमों को वापस म्यांमार भेजने की सरकार की योजना को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार नियमों का उल्लंघन बताया गया है। दोनों याचिकाकर्ता भारत में संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायोग में रजिस्टर्ड हैं।
 
गृह मंत्रालय ने बीती जुलाई में रोहिंग्या समुदाय के अवैध अप्रवासियों को भारत से वापस भेजने के लिए राज्य सरकारों को इनकी पहचान करने के निर्देश के बाद यह मुद्दा चर्चा का विषय बना था। सरकार द्वारा अपने रुख पर कायम रहने की प्रतिबद्धता जताए जाने के बाद अदालत में यह याचिका दायर की गई थी।

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उल्लेखनीय है बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुस्लिमों के दूसरे देशों में जाने से इस बात की आशंका काफी बढ़ रही है कि पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा, अल-कायदा और यहां तक कि इस्लामिक स्टेट (IS) जैसे आतंकी संगठन भी उनका इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए कर सकते हैं।

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इस बात के पर्याप्त सबूत मौजूद हैं कि काफी संख्या में रोहिंग्या मुस्लिम आतंकी संगठनों में शामिल हुए हैं। बांग्लादेश पहले ही आतंकवाद की समस्या से जूझ रहा है। ऐसे में वहां जमात और बीएनपी जैसे आतंकी संगठन अपने हितों के लिए रोहिंग्या का इस्तेमाल कर सकते हैं। बांग्लादेश में अगले साल चुनाव होने हैं और अगर वहां ऐसा होता है तो यह देश के लिए काफी घातक साबित होगा।

म्यांमार में है रोहिंग्या मुस्लिमों का आतंकवादी समूह: 
25 अगस्त को उत्तरी म्यांमार के राखिन राज्य में रोहिंग्या उग्रवादियों द्वारा सीमा चौकियों को घेर लेने के बाद हुए संघर्ष में 12 सुरक्षाकर्मियों सहित कम से कम 89 लोगों की मौत हुई थी। म्यांमार के अधिकारियों ने कहा था कि पिछले कुछ महीने में हुई यह सबसे भीषण हिंसा है। दूरस्थ गांवों में सक्रिय संदिग्ध समूहों द्वारा लगभग रोज की जा रही हत्याओं की वजह से राज्य में हाल के हफ्तों में तनाव व्याप्त है। म्यांमार की सेना ने कहा कि शुक्रवार तड़के अनुमानित 150 विद्रोहियों ने 20 से ज्यादा चौकियों पर हमला कर दिया। कुछ विद्रोही बंदूकों से लैस थे और देसी विस्फोटकों का इस्तेमाल कर रहे थे।

जाकिर नाइक ने जम्मू में बसाया रोहिंग्या मुस्लिमों को?
आरोप है कि मुस्लिम धर्म प्रचारक व विवादित उपदेशक जाकिर नाइक की संस्था इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन ऑफ इंडियन इस्लामिक (आइआरएफ) ने बांग्लादेश और बिहार के रास्ते से रोहिंग्या मुस्लिमों को प्रवेश कराया और उन्होंने उन्हें सीधे जम्मू में शिफ्ट किया। वर्तमान में जम्मू में 6500 से अधिक रोहिंग्या मुस्लिम रहते हैं।

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