नई दिल्ली। सड़क/मोटर वाहन हादसों के शिकार लोगों के लिए नकदीरहित इलाज (cashless treatment) की योजना तैयार करने में देरी को लेकर केंद्र पर नाराजगी जाहिर करते हुए उच्चतम न्यायालय (Supreme Court ) ने सोमवार को कहा कि आप बड़े-बड़े राजमार्गों का निर्माण कर रहे हैं लेकिन सुविधाओं के अभाव में लोग वहां मर रहे हैं। न्यायमूर्ति अभय एस ओका (Abhay S Oka) और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां (Ujjal Bhuiyan) की पीठ ने कहा कि 8 जनवरी के आदेश के बावजूद केंद्र ने न तो निर्देश का पालन किया और न ही समय बढ़ाने की मांग की।
मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 2 (12-ए) के तहत गोल्डन ऑवर सड़क हादसे में किसी दर्दनाक चोट के बाद एक घंटे की अवधि को संदर्भित करता है जिसके तहत समय पर चिकित्सा हस्तक्षेप से मृत्यु को रोका जा सकता है। शीर्ष अदालत ने सचिव को योजना में देरी के कारणों को स्पष्ट करने के लिए तलब किया था।