नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 14 साल पुराने एक मामले की सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया है कि अगर किसी मामले में बलात्कार पीड़िता आरोपी को बचाने के लिए उससे समझौता करती है और अपना बयान बदलती है तो उसके खिलाफ भी मुकदमा चलाया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि अगर रेप के मामले में आरोपी के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं, तब भी रेप पीड़िता बयान बदलती है तो उसके खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा।
जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस नवीन सिन्हा और जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच ने एक मामले की सुनवाई करते हुए दोषी को 10 साल की सजा सुनाई जबकि इस मामले में रेप पीड़िता ने अपना बयान बदला था। उसने कहा था कि उसके साथ रेप नहीं हुआ था। बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि अगर रेप के आरोपी को मेडिकल रिपोर्ट के अलावा किसी भी आधार पर क्लीन चिट दे दी जाती है, तब भी उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज होगा।
हालांकि गुजरात हाईकोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया और रेप पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट और अन्य सबूतों के आधार पर आरोपी को दोषी करार दिया गया। इसके बाद आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन उसकी याचिका खारिज हो गई। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पीड़िता का परिवार गरीब था और वह 5-6 भाई बहन हैं। उसने रेप के 6 महीने बाद ही बयान पलट दिया तो ऐसे में हो सकता है कि पीड़िता को बयान बदलने के लिए मजबूर किया गया हो।
कोर्ट ने कहा कि अगर कोई पीड़ित या फिर पीड़िता न्यायिक प्रक्रिया को पलटने की कोशिश करते हैं तो कोर्ट चुप नहीं बैठेगा। सच को सामने लाने के लिए सभी प्रयास किए जाएंगे। अगर आरोपी को दोषी साबित करने वाले सभी सबूत हैं, फिर भी बयान बदलना स्वीकार नहीं किया जाएगा। यह मामला 14 साल पुराना था इसलिए पीड़िता को छोड़ दिया गया लेकिन अगर पीड़िता ने बयान बदला तो उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया जाएगा।