राम मंदिर मामला गरमाया, क्या बोला सुप्रीम कोर्ट...

मंगलवार, 21 मार्च 2017 (11:07 IST)
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद से जुड़े पक्षों से इस मुद्दे को मिल बैठकर सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाने की सलाह दी है। भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने शीर्ष अदालत ने सुझाव का स्वागत किया है, वहीं बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी ने यह सुझाव मानने से इंकार कर दिया है।
 
भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय से रामजन्म भूमि -बाबरी मस्जिद विवाद पर जल्द सुनवाई करने का अनुरोध किया था, इस पर मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर ने कहा कि यह बहुत ही संवेदनशील मामला है इसलिए बेहतर होगा कि मामले से जुड़े पक्ष इसे आपसी सहमति से सुलझा लें।
 
उन्होंने कहा कि यदि संबंधित पक्ष चाहें तो वह खुद इस मामले में मध्यस्थता करने को तैयार हैं या किसी अन्य न्यायिक अधिकारी को भी वह इसके लिए चुन सकते हैं। स्वामी ने बाद में संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने न्यायालय से अनुरोध किया कि मामले को आपसी सहमित से सुलझाने के लिए न्यायालय ही आदेश दे तो उचित होगा।

 स्वामी ने  कहा कि इस पर मुख्य न्यायाधीश ने उनसे इस मामले को 31 मार्च को न्यायालय में फिर से उठाने को कहा है।  दूसरी ओर बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी ने कहा कि कोर्ट के बाहर इस मामले में समझौता नहीं हो सकता।
 
इसके उलट राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के संयोजक अफजाल अहमद ने शीर्ष न्यायालय के इस सुझाव का स्वागत करते हुए कहा कि यह मसला बातचीत से हल हो सकता है और दोनों पक्षों को इस दिशा में पहल करनी चाहिए। अहमद ने कहा कि देश में अमन और चैन के लिए हम तैयार हैं और एकता तथा अखंडता के लिए हम हरसंभव प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि दोनों समाज को मिलकर काम करना चाहिए और जिसका हक है उसे मिलना चाहिए।
 
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उल्लेखनीय है कि योगी आदित्यनाथ के उत्तरप्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की मांग उठने लगी है। यह मामला बरसों से शीर्ष अदालत में लंबित है। 
 

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