ट्रिपल तलाक पर मुस्लिम महिलाओं के लिए क्या बोला सुप्रीम कोर्ट...

बुधवार, 17 मई 2017 (20:50 IST)
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को ऑल इंडिया मुस्लिम पसर्नल लॉ बोर्ड से पूछा- क्या निकाह के समय 'निकाहनामा' में किसी महिला को 'तीन तलाक' के लिए 'ना' कहने का विकल्प दिया जा सकता है?
 
प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने यह भी कहा कि क्या सभी काजियों से निकाह के समय इस शर्त को शामिल करने के लिए कहा जा सकता है। पीठ में न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ, न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन, न्यायमूर्ति यूयू ललित और न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर भी शामिल हैं।
 
न्यायालय ने पूछा, 'क्या यह संभव है कि मुस्लिम महिलाओं को निकाहनामा के समय तीन तलाक को ना कहने का विकल्प दे दिया जाए?' पीठ ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से पैरवी कर रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से जवाब मांगते हुए कहा, 'हमारी तरफ से कुछ भी निष्कर्ष ना निकालें।'
 
तीन तलाक, बहुविवाह और निकाह हलाला को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर पीठ के समक्ष चल रही सुनवाई का आज पांचवां दिन है। पीठ में हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, पारसी सहित विभिन्न धार्मिक समुदायों के सदस्य शामिल हैं।
 
मंगलवार को एआईएमपीएलबी ने कहा था कि 'तीन तलाक' ऐसा ही मामला है जैसे यह माना जाता है कि भगवान राम अयोध्या में पैदा हुए थे। इसने कहा था कि ये धर्म से जुड़े मामले हैं और इन्हें संवैधानिक नैतिकता के आधार पर नहीं परखा जा सकता।

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