The number of Amarnath pilgrims is breaking records : अमरनाथ यात्रा के 22वें दिन गुफा के दर्शन करने वालों की संख्या 4 लाख को छूने लगी थी। यह अब पिछले साल के रिकॉर्ड को पार करने जा रही है। श्रद्धालुओं की रफ्तार को देखते हुए अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड को उम्मीद है कि इस बार यह आंकड़ा 8 लाख को पार कर सकता है। हालांकि सरकारी रिकॉर्ड 2011 की यात्रा में 6.35 लाख के शिरकत करने का है।
2007 से लेकर 2019 तक के आंकड़ों में इस साल के 22 दिनों के आंकड़े ने पिछले चार साल का रिकॉर्ड जरूर तोड़ दिया है। जबकि अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड के अधिकारियों को उम्मीद थी कि अगर सब सकुशलता से चलता रहा तो इस बार यात्रा एक नया रिकॉर्ड बनाएगी। आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2007, 2008, 2009, 2010, 2011, 2012, 2013, 2014, 2015, 2016, 2017 तथा 2018 में क्रमशः 2.63, 5.50, 3.75, 4.59, 6.35, 6.20, 3.53, 3.72, 2.20, 2.60 तथा 2.85 लाख श्रद्धालुओं ने शिरकत की थी।
श्राइन बोर्ड के अधिकारी कहते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग हिमलिंग को प्रभावित कर रही है। वे इससे इंकार करते थे कि गुफा में क्षमता से अधिक श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। वर्ष 1996 के अमरनाथ हादसे के बाद नितिन सेनगुप्ता कमेटी की सिफारिश थी कि 75 हजार से अधिक श्रद्धालुओं को यात्रा में शामिल न होने दिया जाए, पर ऐसा कभी नहीं हो पाया। इस बार 22 दिनों में चार लाख श्रद्धालु गुफा में पहुंचे हैं। इस पर पर्यावरणविद खफा हैं। वे कहते हैं कि यात्रियों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि न सिर्फ हिमलिंग को पिघलाने में अहम भूमिका निभा रही है, बल्कि यात्रा मार्ग के पहाड़ों के पर्यावरण को भी जबरदस्त क्षति पहुंचा रही है।
ऐसे में यात्रा के शेष 15 दिनों में दर्शन करने वाले श्रद्धालु हिमलिंग के साक्षात दर्शन नहीं कर सके थे। जबकि साल 2013 में भी अमरनाथ यात्रा के दौरान हिमलिंग की ऊंचाई कम थी। उस वर्ष हिमलिंग महज 14 फुट का था। लगातार बढ़ते तापमान के चलते वे अमरनाथ यात्रा के पूरे होने से पहले ही अंतर्ध्यान हो गए थे। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार साल 2013 में हिमलिंग के तेजी से पिघलने का कारण तापमान में वृद्धि था। उस वक्त पारा 34 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया था।