उन्होंने कहा कि यदि अभिजात्य प्रकृति और अधिक उपभोग वाले उत्पादों पर अलग-अलग कर दरें हटा दी जाएं, तो इससे मुकदमेबाजी कम होगी। देबरॉय ने कहा, हमें यह समझने की जरूरत है कि उत्पाद कोई भी हो, जीएसटी दर एक होनी चाहिए। यदि हम प्रगतिशीलता दिखाना चाहते हैं तो यह प्रत्यक्ष करों के जरिए होनी चाहिए, जीएसटी या अप्रत्यक्ष करों के जरिए नहीं।