आमतौर पर देश में 15 जून को मानसून आता है, लेकिन 28 जून तक बारिश के पते नहीं है। खासतौर से मध्यप्रदेश में देखें तो यहां मध्य जून में एक या दो ही बार बारिश हो सकी है, इसके बाद धूप-छाव की आंख मिचोली जारी है। बादलों का लगातार सिस्टम तो बना हुआ है, लेकिन बारिश कहीं नजर नहीं आ रही है।
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि जुलाई के पहले हफ्ते में बारिश होगी और अगस्त तक अच्छी या सामान्य बारिश के आसार हैं। साथ विशेषज्ञों ने चेताया है कि हमने मौसम और क्लाइमेट के सिस्टम को खराब कर दिया है, इसका संतुलन बिगड़ गया है, ऐसे में भविष्य में मौसम में असंतुलन को लेकर खतरा और बढ़ेगा। इसके बारे में सोचने का वक्त आ गया है, क्योंकि हमने डेवलेपमेंट की अंधी दौड़ में प्रकृति और पर्यावरण को पूरी तरह से इग्नौर कर दिया है।
हमने क्लाइमेट सिस्टम खराब कर दिया
भोपाल में मौसम वैज्ञानिक जीडी मिश्रा ने वेबदुनिया को बताया कि अरब सागर में सिस्टम बनना शुरू हुआ है। जुलाई के पहले हफ्ते में बारिश होगी। इंदौर, उज्जैन, देवास समेत मप्र के दूसरे हिस्सों में भी आसार है। जुलाई से शुरू होकर अगस्त तक अच्छी बारिश होगी। जिसे हम सामान्य बारिश कह सकते हैं। जहां तक बारिश की खेंच का कारण है तो जब तक सिस्टम नहीं बनता है, तब तक बारिश नहीं होती है। मौसम का सिस्टम बनेगा तो ही बारिश होने के आसार बनते हैं। दरअसल, पिछले कुछ साल में मौसम का सिस्टम गड़बड़ हो गया है। क्लाइमेट चेंज इसकी एक वजह है। हम लगातार कांक्रिट का जंगल तैयार कर रहे हैं, सड़कें, ब्रिज, मेट्रो और तमाम तरह का डवलेपमेंट हो रहा है। ऐसे में पानी जमीन में जा नहीं रहा है। ऐसे में यह संतुलन तो बिगड़ना ही है। अभी तो फिर भी मौसम की सायकल ठीक है, आने वाले समय में हमने क्लाइमेट पर ध्यान नहीं दिया तो समस्या और बढ़ेगी। जिसके बारे में हमें अब सोचना होगा।
गुजरात के अधिकांश हिस्सों में पहुंचा मानसुन
इधर 27 जून को दक्षिण-पश्चिम और अरब सागर के अधिकांश हिस्सों और गुजरात के अधिकांश हिस्सों में मानसून पहुंच गया है। साथ ही एक चक्रवाती परिसंचरण उत्तर-पूर्व अरब सागर के ऊपर मध्य क्षोभमंडल स्तर तक फैला हुआ है। वहीं, एक और चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र मध्य प्रदेश के मध्य भागों और आसपास के क्षेत्र पर बना हुआ है।
वहीं, एक ट्रफ रेखा मध्य प्रदेश के ऊपर बने चक्रवाती सर्कुलेशन से लेकर पूर्वोत्तर अरब सागर के ऊपर बने साइक्लोनिक सर्कुलेशन तक फैली हुई है। एक और चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र दक्षिण-पश्चिम राजस्थान और आसपास के क्षेत्र में देखा जा सकता है।
यहां पहुंची बारिश
पिछले 24 घंटों के दौरान मानसून की बात करें तो उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम, असम के कुछ हिस्सों, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और विदर्भ के कुछ हिस्सों में मध्यम से भारी बारिश हुई है। इसके साथ ही तटीय आंध्र प्रदेश, कोंकण और गोवा, मध्य महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों और तटीय कर्नाटक में एक या दो स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश हुई। इसके साथ ही केरल, लक्षद्वीप, दक्षिण तटीय आंध्र प्रदेश, मराठवाड़ा के कुछ हिस्सों, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में एक या दो स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश हुई।
बन रहा मानसून का असर
मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक अगले 24 घंटों में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में मानसून की शुरुआत के लिए स्थितियां अनुकूल होती जा रही हैं। उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम, असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, कोंकण और गोवा, तटीय कर्नाटक, दक्षिण-पश्चिम मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों, गुजरात क्षेत्र, उत्तरी मध्य महाराष्ट्र, मराठवाड़ा, विदर्भ और कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश संभव है।
उत्तर प्रदेश, ओडिशा, तटीय आंध्र प्रदेश, केरल, लक्षद्वीप, दक्षिण मध्य प्रदेश उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों की तलहटी में हल्की से मध्यम बारिश संभव है। वहीं जम्मू कश्मीर हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश के पश्चिमी हिस्सों में हल्की से बहुत हल्की बारिश संभव है। 29 जून को पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और पूर्वोत्तर राजस्थान के कुछ हिस्सों में हल्की बारिश के साथ गरज के साथ बौछारें पड़ सकती हैं। साभार : skymetweather.com के इनपुट्स के साथ।