PM Modi meditation : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यहां विवेकानंद रॉक मेमोरियल में सूर्योदय के समय सूर्य अर्घ्य देने के बाद शनिवार को तीसरे और अंतिम दिन अपनी ध्यान साधना शुरू की। सूर्य अर्घ्य आध्यात्मिक अभ्यास से जुड़ी एक परंपरा है, जिसमें भगवान सूर्य को जल अर्पित कर उन्हें नमन किया जाता है।
प्रधानमंत्री ने एक लोटे से समुद्र में सूर्य को जल अर्पित किया और माला जपी। मोदी भगवा वस्त्र पहने हुए थे और उन्होंने स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा पर पुष्पांजलि भी अर्पित की। वह अपने हाथों में जाप माला लेकर मंडपम के चारों ओर चक्कर लगाते दिखे।
विवेकानंद रॉक पहुंचने के बाद से ही पीएम मोदी मौन हैं। उन्होंने यहां अन्न का एक भी दाना नहीं लिया है। वे नारियल पानी, अंगूल जूस जैसे तरह पदार्थों का सेवन कर रहे हैं।
कन्याकुमारी सूर्योदय और सूर्यास्त के दृश्यों के लिए मशहूर है और मेमोरियल तट के पास एक छोटे-से टापू पर स्थित है। प्रधानमंत्री ने 30 मई की शाम को विवेकानंद रॉक मेमोरियल में ध्यान साधना शुरू की थी और उनके शनिवार शाम तक ध्यान करने की संभावना है।
क्या है विवेकानंद रॉक मेमोरियल : समुद्र के बीच में एक चट्टान पर स्वामी विवेकानंद ने ध्यान लगाया था। कहते हैं कि वे इस चट्टान तक तैरते हुए गए थे। स्वामी विवेकानंद के संदेशों को साकार रूप देने के लिए ही 1970 में उस विशाल शिला पर एक भव्य स्मृति भवन का निर्माण किया गया।
यह विवेकानंद स्मारक भवन बहुत ही सुंदर मंदिर के रूप में बनाया गया है। इसका मुख्य द्वार अत्यंत सुंदर है। नीले तथा लाल ग्रेनाइट के पत्थरों से निर्मित स्मारक पर 70 फीट ऊंचा गुंबद है। यह स्थान 6 एकड़ के क्षेत्र में फैला है। मुख्य द्वीप से लगभग 500 मीटर की दूरी पर स्थित यह स्मारक 2 पत्थरों के शीर्ष पर स्थित है। भवन के अंदर चार फीट से ज्यादा ऊंचे प्लेट फॉर्म पर परिव्राजक संत स्वामी विवेकानंद की मूर्ति है। यह मूर्ति कांसे की बनी है, जिसकी ऊंचाई साढ़े आठ फीट है।
इसी के पास एक दूसरी चट्टान पर तमिल के संत कवि तिरूवल्लुवर की 133 फीट ऊंची मूर्ति है। विवेकानंद स्मारक के करीब इस भव्य प्रतिमा को स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी की तर्ज पर बनाया गया है। यहां तक पहुंचने के लिए स्टीमर या नौका की सहायता लेनी पड़ती है।