नई दिल्ली। मोरबी की मच्छु नदी में रविवार को केबल पुल टूटने पर पहली बार लोगों की जलसमाधि नहीं हुई है। इससे पूर्व 43 साल पहले 1979 में भी गुजरात की इसी नदी पर बना बांध फट गया था। राजकोट जिले के मांडवा और जसदान सरदार तथा सुन्दरनगर जिले के चोटीला की पहाड़ियों से निकली मच्छु नदी राजकोट जिले के मालिया, मोरबी, वांकानेर, जसदाम और राजकोट तालुका से होकर गुजरती है।
गुजरात में 1 सप्ताह तक मानसून में हुई मूसलधार बारिश के बाद 11 अगस्त, 1979 को 2 मील लंबा मच्छु बांध-2 फूट गया था। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डस के अनुसार यह बांध फटने की सबसे भीषण दुर्घटना है। बांध फूटने के बाद उसके जलाशय में जमा पानी तेजी से नीचे की ओर आया और मोरबी के औद्योगिक शहर तथा आसपास के गांवों को लील गया। आशंका है कि इस हादसे में 1,800 से 25,000 लोगों की जान गई।
वर्ष 2011 में रिलीज पुस्तक 'नो वन हैड ए टंग टू स्पीक : द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ वन ऑफ हिस्ट्रीज डेडलिएस्ट फ्लड्स' के अनुसार हादसे में कितने लोग मरे थे, इसका कोई अंतिम आंकड़ा नहीं आया है लेकिन उस बाढ़ में 25,000 लोगों के मरने की आशंका है।
मच्छु बांध-2 को बाद में 1980 के दशक में फिर से बनाया गया। कई स्थानीय लोगों के लिए रविवार को मच्छु नदी पर पुल टूटने की इस घटना ने मच्छु बांध हादसे की याद दिला दी। रविवार को हुए हादसे में 134 लोगों की मौत हुई है।
गुजरात की दीपल त्रिवेदी ने ट्वीट किया है कि प्रकृति बहुत क्रूर है। मोरबी का पानी के साथ हादसों का पुराना संबंध है। कल हुई मोरबी पुल दुर्घटना ने 1979 के मच्छु बांध हादसे की याद दिला दी। दुख की बात है कि मोरबी ऐसी जगह है, जहां पानी की हमेशा किल्लत रहती है।
उत्तरप्रदेश के मधुप कुमार पांडेय ने ट्वीट किया कि 1979 में मच्छु बांध फूटा था और करीब 20,000 मनुष्य तथा लाखों जानवर मारे गए थे। अब इस नदी पर बने केबल पुल के टूटने से 100 से अधिक लोगों की जान चली गई। मृतकों और उनके परिवार वालों के लिए प्रार्थना। पुणे के शिवकुमार जालोद ने उम्मीद जताई है कि प्रशासन इस हादसे से सबक लेगा और भविष्य में ऐसी दुर्घटना की पुनरावृत्ति नहीं होगी।(भाषा)