नई दिल्ली। भारत में जल्द ही 160 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ने वाली ट्रेन पटरियों पर नजर आएगी। सबसे अहम बात यह है कि इस ट्रेन में इंजन नहीं होगा। इंजन रहित इस ट्रेन को 18 माह में विकसित किया गया है। आधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण यह ट्रेन यात्रियों को एक विश्वस्तरीय सफर देने के लिए तैयार है।
जानकारी के मुताबिक ट्रेन-18 नामक यह ट्रेन शताब्दी का स्थान लेगी। शताब्दी 130 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से दौड़ती है, जबकि यह 160 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से दौड़ेगी। चूंकि यह ट्रेन 2018 में बनी है, इसलिए इसे ट्रेन 18 नाम दिया गया है। इंजन के स्थान पर इसके कोच में पॉवर कार लगा होगा।
यह ट्रेन 29 अक्टूबर से पटरी पर ट्रायल के लिए उतरेगी। इसे चेन्नई के इंटिग्रल कोच फैक्ट्री ने तैयार किया है। बाकी ट्रेनों की तरह इसमें डब्बे भी नहीं बदले जाते। इस ट्रेन की पूरी बॉडी खास एल्यूमिनियम की बनी है। हल्की होने के कारण इसे तुरंत ब्रेक लगाकर रोकना आसान है साथ ही तुरंत ही तेज गति भी दी जा सकती है। इसकी प्रतिकृति बनाने में 100 करोड़ रुपए की लागत आई है।
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट कर कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मेक इन इंडिया अभियान को आगे बढ़ाते हुए भारतीय रेल ने विश्वस्तरीय T-18 ट्रेन का निर्माण किया है। यह ट्रेन आधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण है और यात्रियों को एक विश्वस्तरीय सफर देने के लिए तैयार है।
ट्रेन-18 की विशेषताएं
शताब्दी के मुकाबले कम समय लेगी ट्रेन-18।
यह ट्रेन 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार तक चल सकेगी, शताब्दी की गति 130 किमी प्रति घंटे है।
ट्रेन में कुल 16 कोच रहेंगे।
वजन में हल्की। रोकने और गति देने में आसानी होगी।
ट्रेन के मध्य में दो एक्जिक्यूटिव कंपार्टमेंट होंगे, जिनमें प्रत्येक में 52 सीट होंगी।
सामान्य कोच में 78 सीटें होंगी।
ऑटोमैटिक दरवाजे और सीसीटीवी कैमरे से लैस होगी।
जीपीएस आधारित यात्री सूचना प्रणाली होगी।
इसे चेन्नई स्थित इंटिग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) द्वारा 18 महीने में विकसित किया गया है।