उन्होंने कहा कि मैंने उन बहादुरों के सम्मान में दौड़ लगाई है, जिन्होंने देश के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया। लेफ्टिनेंट कर्नल राय श्रीनगर से द्रास सेक्टर तक दौड़ लगाते हुए करगिल युद्ध स्मारक पहुंचीं। उन्होंने 19 जुलाई को अपनी यात्रा शुरू की थी और यह 22 जुलाई को समाप्त हुई। उनके साथ चिनार वारियर्स मैराथन टीम भी थी। कारगिल युद्ध स्मारक पहुंचने पर राय ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी।
40 किलोमीटर रोज दौड़ीं राय : वर्षा राय के पति भी सेना अधिकारी हैं और वह कश्मीर में तैनात हैं। वह प्रतिदिन औसतन 40 किलोमीटर की रफ्तार से दौड़ती थी। श्रीनगर से शुरू करने के बाद वह दूसरे दिन वुसन पहुंची, जहां से उन्होंने 9000 फुट की ऊंचाई पर सोनमर्ग तक दौड़ लगाई।
11649 फुट ऊंचा दर्रा पार किया : वर्षा राय तीसरे दिन कश्मीर घाटी को लद्दाख क्षेत्र से जोड़ने वाले श्रीनगर-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर 11649 फुट ऊंचे जोजिला दर्रे को पार कर मतायेन तक पहुंचीं और उसके बाद चौथे दिन वह द्रास स्थित स्मारक पहुंचीं। उन्होंने बताया कि जब करगिल युद्ध शुरू हुआ तो मैं सातवीं कक्षा में पढ़ती थी और मेरे पिता कर्नल केशव राय अपनी पूरी टीम के साथ रातोंरात (सीमा पर) चले गए थे। वह दस वर्ष पहले सेवानिवृत्त हुए हैं।
अदम्य साहस के लिए श्रद्धांजलि : राय ने कहा कि हमारे जैसे सैनिक परिवारों के लिए इसके बाद अनिश्चितता, नुकसान और निराशा के दिन आए। यह दौड़ मेरे लिए सिर्फ एक निजी यात्रा नहीं थी, बल्कि कारगिल युद्ध के दौरान बहादुरी से लड़ने वाले जवानों के अदम्य साहस के लिए श्रद्धांजलि थी। उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पर लिखा दिल भारी था, लेकिन गर्व से भरा हुआ था। (एजेंसी/वेबदुनिया/फोटो : इंस्टाग्राम)