ट्विटर नियमों पर भारत सरकार से टकराने वाले आखि‍र कौन हैं जैक डोर्सी?

Webdunia
रविवार, 6 जून 2021 (13:37 IST)
ट्विटर के सीईओ जैक डोर्सी और भारत सरकार के बीच नियमों को लेकर विवाद चल रहा है। हाल ही में ट्व‍िटर ने आरएसएस के कई पदाधि‍कारियों के ब्‍लू टि‍क हटा दिए थे। इसके बाद यह विवाद और ज्‍यादा गहराता जा रहा है।

ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखि‍र जैक डोर्सी कौन है और कैसे उन्‍हों ट्व‍िटर की शुरुआत की थी।

हाल ही में जैक अपने एक फैसले की वजह से खबरों में आए थे। उन्‍होंने अपने कर्मचारियों को घर से काम करने की आजादी दी थी। जैक डोर्सी ने कहा कि अगर उनके कर्मचारी चाहें तो हमेशा के लिए वर्क फ्रॉम होम कर सकते हैं। कंपनी की ओर से जैक डॉर्सी ने अपने एक बयान में कहा था कि कोरोना के हालात को देखते हुए कर्मचारी जब तक चाहें घर से काम कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि सुधार के बाद भी कर्मचारियों को घर से काम करने की अनुमति दी जाएगी।

2006 में टि्वटर की शुरुआत
उन्होंने हाल ही में कोरोना वायरस से लड़ाई के लिए अपनी 28 फीसदी नेटवर्थ यानी करीब एक 7500 करोड़ रुपये देने का एलान किया था। जैक डोर्सी तकनीक से जुड़े एक प्रभावशाली बिजनेसमेन हैं। जैक ने 2006 में टि्वटर की शुरुआत की थी। लेकिन यह सफर उनके लिए आसान नहीं था। जिस सोशल मीडिया नेटवर्क को उन्होंने खड़ा किया उसी ने 2008 में उन्हें कंपनी से बाहर कर दिया। लेकिन डोर्सी करीब 7 साल बाद दोबारा कंपनी में लौटे वो भी प्रमुख बनकर।

जैक डॉर्सी का जन्म 19 नवंबर 1976 को अमेरिका के सेंट लुइस शहर में हुआ था। जैक ने डु बौर्ग हाई स्कूल किया। वह स्कूल में एक शांत लड़के के रूप में जाने जाते थे। इसके बाद उन्होंने कंप्यूटर में रूचि दिखाई, जिसके बाद वह स्कूल के कंप्यूटर ग्रुप में शामिल हो गए। हाई स्कूल के बाद जैक ने मिसौरी विश्वविद्यालय विज्ञान और प्रौद्योगिकी में दाखिला लिया। वहीं, उन्होंने ड्रिग्री की पढ़ाई पूरी किए बगैर विश्वविद्यालय छोड़ दिया। जैक के करियर की बात करें तो उन्होंने शुरुआती दिनों में एक प्रोग्रामर के रूप में काम करना शुरू किया था। सन 2000 में वह ओकलैंड चले गए।

इसके बाद जैक ने मैसेजिंग कंपनी की शुरुआत की, लेकिन वह घाटे में चली गई। इसके बाद उन्हें कई वर्षों तक संघर्ष करना पड़ा था। अक्तूबर 2006 में जैक डॉर्सी, बिज स्टोन, इवान विलियम्स समेत अन्य सदस्यों ने मिलकर एक मैसेजिंग कंपनी का गठन किया, जिसको बाद में ट्विटर का नाम दिया गया। इसके बाद दो सप्ताह के अंदर उन्होंने एक साइट तैयार की जहां यूजर्स 140 शब्दों के साथ मैसेज यानी ट्वीट कर सकते थे।

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