ट्विटर के मालिक एलन मस्क की समझ गजब की है। वे लोगों का मनोविज्ञान भी बहुत अच्छे से समझते हैं। हालांकि लोग उन्हें सनकी और मोहम्मद तुगलक जैसे विशेषणों से भी नवाजते हैं। लेकिन, मस्क ने ट्विटर का लोगों बदलकर एक तरह से यूजर्स को आईना ही दिखाया है।
दरअसल, लोगों को मासूम सी चिड़िया रास ही नहीं आ रही थी। उस चहकती और फुदकती चिड़िया को देखकर भी पता नहीं क्यों लोगों के मन से नकारात्मकता जा ही नहीं रही थी। समय के साथ नकारात्मकता और हिंसक प्रवृत्ति कम होने के साथ बढ़ती ही जा रही थी। उन्हें ट्विट-ट्विट करने से भौं-भौं करना ही ज्यादा रास आ रहा था।
वैसे भी ज्यादातर ट्वीट्स में टांग खिंचाई ही नजर आती है। लोग गाली-गलौज करने तक से भी बाज नहीं आते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो पूरे समय भौं-भौं वाले ट्वीट्स की भरमार होती थी। इसे कुत्ताफजीती भी कह सकते हैं।
दरअसल, लोग एलन मस्क को समझ ही नहीं पाए। उन्होंने तो बहुत पहले ही संकेत दे दिया था कि चिड़िया के पंख कभी भी नोंच लिए जाएंगे। याद है वह फोटो जब ट्विटर सीईओ की कुर्सी पर उन्होंने अपने कुत्ते को बैठा दिया था। फ्लोकी नामक मस्क के पालतू कुत्ते ने उस समय काफी सुर्खियां बटोरी थीं। लोगों को उसकी किस्मत पर भी ईर्ष्या होने लगी थी। वे खुद को कुत्ते से भी कमतर मानने लगे थे।
कुत्ते को सीईओ बनाने वाली खबर को ज्यादा वक्त नहीं बीता है। फरवरी 2023 की ही तो बात है। तभी से कुत्ते की नजर चिड़िया पर थी। अप्रैल आते-आते तो उसने चिड़िया को अपना निवाला बना ही लिया। हालांकि इस बार कुत्ते का चेहरा अलग है। इसे शीबू इनू नस्ल का जापानी कुत्ता बताया जा रहा है।
हालांकि अब एलन मस्क को लगे हाथ एक काम और कर देना चाहिए। वो यह कि लगे हाथ ट्विटर का नाम भी बदल देना चाहिए। जब चिड़िया ही नहीं रही तो उसकी आवाज की जरूरत कहां रही। अब तो इसके लिए भौं-भौं ही ज्यादा उपयुक्त होगा। चूंकि यह पूरी दुनिया में उपयोग में लाया जाता है, इसके लिए ट्वीट की जगह बार्क (bark) कर देना चाहिए।
हमें पूरा भरोसा है कि मस्क इस दिशा में कुछ न कुछ जरूर सोच रहे होंगे। ट्विटर के यूजर्स की मानसिकता पर इस नए लोगों का क्या असर होगा, इसके लिए हमें थोड़ा तो इंतजार करना होगा। लेकिन, मस्क ने लगे हाथ डोजे कॉइन का जरूर उद्धार कर दिया। ... तो खुश हो जाइए और जी भरकर 'भौंकिए'... -ट्विटरवाला