कुछ और दौर का परीक्षण किए जाने की योजना है। सूत्रों के अनुसार पहले के पिनाक में दिशा-निर्देशन प्रणाली नहीं थी, उसे अब उन्नत कर दिशा-निर्देशन प्रणाली से लैस किया गया है। इस सिलसिले में हैदराबाद रिसर्च सेंटर इमारत (आरसीआई) ने नौवहन, दिशा-निर्देशन एवं नियंत्रण किट विकसित किया था। आरसीआई रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के अंतर्गत आता है।
डीआरडीओ के सूत्र के अनुसार इस बदलाव से पिनाक की मारक क्षमता और सटीकता बढ़ गई है। पहले उसकी मारक क्षमता 40 किलोमीटर थी जो अब 70 किलोमीटर हो गयी है। सूत्र ने कहा कि चांदीपुर के रक्षा क्षेत्र में रडार, इलेक्ट्रो ऑप्टिकल सिस्टम, टेलीमेट्री सिस्टम ने रॉकेट की उसके पूरे मार्ग में निगरानी की। गाइडेड संस्करण पिनाक मार्क-।। है जो पिनाक मार्क-। से विकसित हुआ है।
सूत्रों के मुताबिक गाइडेड पिनाक की सफलता इस सुविधा से बिना लैस प्रणालियों को बिलकुल सटीकता वाले हथियारों में बदलने में देश की प्रौद्योगिकीय ताकत को रेखांकित करती है। पिनाक को पुणे के आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट, आरसीआई और हैदराबाद के डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट लैबोरेटरी ने मिलकर तैयार किया है।