श्रीनगर। उड़ी में सेना पर आज तक के हुए सबसे बड़े हमले का जवाब देने की खातिर भारतीय पक्ष की ओर से की जाने वाली तैयारियों का एक गंभीर पहलू यह है कि जो भी सैनिक विकल्प सुझाए जा रहे हैं उनका स्पष्ट अर्थ यह भी है कि भारत को पाकिस्तान के साथ युद्ध लड़ने के लिए तैयार रहना होगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि विकल्पों को सुझाने वालों का यह भी कहना है कि इनमें से किसी एक भी विकल्प को इस्तेमाल करने के साथ ही भारत को पाकिस्तान की तरफ से छेड़ दी जानी वाली भरपूर लड़ाई का सामना करना होगा।
अधिकृत सूत्रों के अनुसार, राजनीतिक तथा कूटनीतिक मोर्चों के अतिरिक्त सैनिक मोर्चों पर भी पाकिस्तान को इस हमले तथा कश्मीर में छेड़े गए आतंकवाद का जवाब देने की तैयारी जारी है। हालांकि सूत्रों के अनुसार, सैनिक मोर्चों पर जो भी सुझाव जवाब देने के लिए सुझाए जा रहे हैं उनका परिणाम अंत में भरपूर युद्ध के रूप में ही निकलता है।
सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में स्थित आतंकवाद के प्रशिक्षण केंद्रों को नष्ट करने के लिए सुझाए गए चार विकल्पों में से एक विकल्प जमीन से जमीन पर मार करने वाले पृथ्वी व ब्रह्मोस मिसाइलों के इस्तेमाल का भी है जो पूरी तरह से अमेरीका की तर्ज पर करने की बात कही जा रही है।
सनद रहे कि अमेरीका ने अफगनिस्तान में भरपूर युद्ध छेड़ने से पूर्व कुछ अरसा पहले अफगानिस्तान के विभिन्न शहरों में अल कायदा तथा लादेन को नष्ट करने के इरादों से मिसाइलों से हमला किया था। उसी प्रकार की नीति अपनाने के लिए कहा जा रहा है। ऐसी सलाह देने वालों का कहना है कि पाक अधिकृत कश्मीर के भीतर स्थित आतंकवादी प्रशिक्षण केंद्र अधिक गहराई में नहीं हैं और पृथ्वी व ब्रह्मोस जैसे मिसाइल उन पर पूरी तरह से अचूक निशाना लगाने में अपनी अहम भूमिका निभा सकते हैं।
हालांकि तीन प्रकार के अन्य विकल्प भी सुझाए जा रहे हैं। इनमें एक भारतीय सेना को खूली छूट देने का है। अर्थात भारतीय सेना नियंत्रण रेखा को पार कर 24 घंटों के भीतर आतंकवादी प्रशिक्षण केंद्रों को नष्ट कर वापस लौटे। यह कमांडो कार्रवाई होगी, जबकि सभी प्रशिक्षण केंद्र अब नियंत्रण रेखा के पार पाक कब्जे वाले कश्मीर में ही हैं।
इसी के साथ ही सेना को बोफोर्स तोपों का खुल कर इस्तेमाल करने की इजाजत देने का विकल्प भी है। जिसके अतंर्गत नियंत्रण रेखा से 18 से 20 किमी की दूरी पर स्थित कुछ प्रशिक्षण केंद्रों पर मोर्टार, बोफोर्स तोपों से हमला किया जाए। बोफोर्स तोप पहाड़ों में 28 से 30 किमी की दूरी तक मार कर सकती हैं।
सैनिक सूत्रों के अनुसार, इनके अतिरिक्त भारतीय वायुसेना का इस्तेमाल कर प्रशिक्षण केन्द्रों को उड़ाने का विकल्प भी सैनिक कार्रवाई के तहत खुला है। सूत्रों के अनुसार, प्रशिक्षण केंद्रों पर हवाई हमले किए जाने का जो विकल्प दिया गया है उसके अंतर्गत यह कहा जा रहा है कि मिराज-2000 तथा सुखोई विमानों का इस्तेमाल किया जाए जो अचूक निशाना साधनो तथा गहराई तक हमला करने में सक्षम माने जाते हैं। हालांकि इसके लिए दोनों किस्म के विमानों को जम्मू कश्मीर के सभी सैनिक हवाई अड्डों का इस्तेमाल करना होगा।
लेकिन, इन विकल्पों का परिणाम क्या होगा सभी के सामने है। भरपूर युद्ध। क्योंकि पाकिस्तान किसी भी प्रकार की सैनिक कार्रवाई का उचित और मुहंतोड़ जवाब देने की बात कर रहा है और यह सच्चाई है कि उसने अपनी फौजों को तो सीमा पर एकत्र कर लिया है और साथ ही में अपनी वायुसेना को भी किसी प्रकार के हवाई हमले का मुकाबला करने की स्थिति में रहने को कहा है।
नतीजतन भारत सरकार जिन भी सैनिक विकल्पों पर विचार कर रही है उसमें से किसी एक को भी इस्तेमाल करने का अर्थ होगा पाकिस्तान के साथ भरपूर युद्ध करना। और अगर सूत्रों पर विश्वास करें तो भारत सरकार इसके लिए तैयार भी है क्योंकि वह बरसों से चली आ रही समस्या का एक बार हल कर लेना चाहती है अर्थात इस बार वह आर या पार के मूड में अवश्य है।