बुधवार को रैणी पहुंचे वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक मनीष मेहता और डॉ. विनीत कुमार ने हवाई सर्वे किया। सर्वे में जो शुरुआती संकेत मिले हैं, उसके आधार पर चट्टान टूटने से यह आफत आने की संभावना अपने उच्चाधिकारियों के सम्मुख व्यक्त की है।
उनका मानना है कि इस क्षेत्र में 25 ग्लैशियर हैं जो लटके हुए हैं। आपदा के दौरान ऋषि गंगा के ऊपर चट्टान का एक बड़ा हिस्सा टूटा, जिससे यहां लटका ग्लेशियर भी नीचे आ गया और एक झील बन गई।
इस झील के टूटते ही पानी का सैलाब आ गया। वैसे उन्होंने यह भी माना कि सैटेलाइट से इसकी पूरी जानकारी मिल पाएगी, लेकिन प्रथम दृष्टया यही संकेत मिल रहे हैं।
पानी के साथ आई मिट्टी, पत्थर, पेड़ों के सैंपल भी वैज्ञानिक एकत्रित कर रहे हैं। इनका लैब में परीक्षण भी किया जाएगा। इस वैज्ञानिक टीम में 5 वैज्ञानिक हैं जिनमें से 2 ग्लेसियोलोजिस्ट, 3 हाइड्रोलोजिस्ट शामिल हैं। ये सभी वाडिया इंस्टिट्यूट के बताए गए हैं।