Uttarkashi tunnel rescue : 'रैट होल माइनिंग' तकनीक अवैध हो सकती है, लेकिन सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा ढह जाने से उसमें फंसे 41 श्रमिकों को बचाने के लिए जारी बचाव अभियान में रैट-होल खनिकों की प्रतिभा और अनुभव का इस्तेमाल किया गया। यह बात राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के एक सदस्य ने मंगलवार को कही।
उन्होंने यहां एक प्रेसवार्ता में कहा, रैट-होल खनन अवैध हो सकता है, लेकिन रैट होल खनिकों की प्रतिभा, अनुभव और क्षमता का उपयोग किया गया है।
रैट-होल खनन में श्रमिकों के प्रवेश तथा कोयला निकालने के लिए आमतौर पर 3-4 फुट ऊंची संकीर्ण सुरंगों की खुदाई की जाती है। क्षैतिज सुरंगों को अक्सर "चूहे का बिल" कहा जाता है, क्योंकि प्रत्येक सुरंग लगभग एक व्यक्ति के लिए उपयुक्त होती है।
कहां से आए थे : उत्तरकाशी में सिलक्यारा सुरंग में, मुख्य संरचना के ढह गए हिस्से में क्षैतिज रूप से रैट-होल खनन तकनीक का इस्तेमाल करने के लिए ट्रेंचलेस इंजीनियरिंग सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड और नवयुग इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा कम से कम 12 विशेषज्ञों को बुलाया गया। वे दिल्ली, झांसी और देश के अन्य हिस्सों से आए हैं।
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के सदस्य विशाल चौहान ने बताया कि एनजीटी ने उस तकनीक से कोयला खनन, सुरंग में जाकर कोयला निकालने पर रोक लगा दी है, लेकिन इस तकनीक का उपयोग अब भी निर्माण स्थलों पर किया जाता है।
उन्होंने कहा, यह एक विशेष स्थिति है, यह जीवन बचाने वाली स्थिति है...वे तकनीशियन हमारी मदद कर रहे हैं।
उत्तराखंड के चार धाम मार्ग पर निर्माणाधीन सुरंग के ढह गए हिस्से के अंतिम 10 या 12 मीटर के मलबे के माध्यम से क्षैतिज खुदाई में बारह रैट-होल खनन विशेषज्ञ लगे थे। यह पूछे जाने पर कि रैट होल खनिकों को किसने काम पर रखा, चौहान ने कहा, जब हम पूरी सरकार की बात करते हैं, तो खर्चा इधर से आया, उधर से आया, एक ही बात है। एजेंसियां