कटरा-वैष्णोदेवी (जम्मू-कश्मीर)। क्या आप जानते हैं कि वैष्णोदेवी तथा अमरनाथ की यात्रा को संपूर्ण करवाने में सिर्फ आपकी भक्ति का ही योगदान नहीं होता है बल्कि उन हजारों पालकी तथा खच्चर वालों का भी महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है, जो बूढ़े और लाचार भक्तों के साथ-साथ थकावट महसूस करने वाले भक्तों को पवित्र गुफा तक पहुंचाने का कार्य करते हैं।
इनमें खच्चरों का महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है और यह भी एक सच्चाई है कि चाहे देशभर में खच्चरों की संख्या दिन-ब-दिन घटती जा रही हो, पर वैष्णोदेवी तथा अमरनाथ के तीर्थस्थल पर इनकी संख्या में अच्छी-खासी वृद्धि होती जा रही है।
समुद्र तल से 5,300 फुट की ऊंचाई पर स्थित माता वैष्णोदेवी की पवित्र गुफा तक पहुंचने के लिए जम्मू से कटरा के बेस कैम्प का सफर वाहनों और रेल से पूरा किया जा सकता है, पर कटरा से गुफा तक जाने के लिए पैदल न जाने वालों को पालकी या फिर खच्चरों का सहारा लेना आवश्यक हो जाता है।
सारा साल और 24 घंटे चलने वाली इस यात्रा में शामिल होने वाले लाखों श्रद्धालुओं की सहायता करने में यूं तो पालकी और पिट्ठू वाले भी हैं, पर सबसे अधिक संख्या खच्चरों की है।
कटरा नगरपालिका के आंकड़ों के मुताबिक वर्तमान समय में श्रद्धालुओं को ढोने के लिए 9,252 खच्चरें पंजीकृत है जबकि यात्रा मार्ग पर अन्य प्रकार की सामग्री को पहुंचाने के लिए 10 हजार से अधिक खच्चरें गैरपंजीकृत हैं।
वैष्णोदेवी की यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है। यह अब 1 करोड़ को भी पार कर चुकी है।
ऑफ सीजन में यात्रा में 15 से 18 हजार लोग प्रतिदिन शामिल होते हैं, तो पीक सीजन में आने वाले भक्तों की संख्या 50 हजार प्रतिदिन को भी पार कर जाती है। नतीजतन श्रद्धालुओं की संख्या के बढ़ने के साथ ही खच्चरों की मांग भी इस कद्र बढ़ जाती है कि मजबूरन कई बार लोगों को पैदल ही यात्रा पर निकलना पड़ता है।
कटरा नगरपालिका अधिकारियों के मुताबिक श्रद्धालुओं को पेश आने वाली इस दिक्कत का उनके पास कोई हल फिलहाल इसलिए नहीं है, क्योंकि यात्रा मार्ग पर अधिक संख्या में खच्चरों को चलने की अनुमति दिए जाने से पैदल चलने वाले वाले श्रद्धालुओं की समस्याएं बढ़ जाएंगी।
हालांकि वैष्णोदेवी तीर्थस्थान की जिम्मेदारी संभालने वाले श्राइन बोर्ड के अधिकारियों का कहना था कि खच्चरों के लिए अलग से पूर्ण ट्रैकों का निर्माण किया जा रहा है ताकि अन्य श्रद्धालुओं को दिक्कत पेश न आए।
दरअसल, श्रद्धालुओं की संख्या के बढ़ने के साथ-साथ खच्चरों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। पहले सिर्फ कटरा और आसपास के गांवों में खच्चरों को पालने वाले लोग खच्चरों को लेकर वैष्णोदेवी की यात्रा में शामिल होने वाले भक्तों की सेवा में थे और अब आसपास के जिलों में भी खच्चरों को पालने की दौड़ लगी हुई है जिस कारण खच्चरों की संख्या में जबरदस्त वृद्धि हो रही है। अधिकारी बताते हैं कि इनकी संख्या में पिछले 5 सालों के भीतर 40 से 45 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
हालांकि जुलाई और अगस्त महीने में अमरनाथ यात्रा के शुरू होने के कारण वैष्णोदेवी की यात्रा में आने वालों को खच्चरों की कमी इसलिए महसूस होती है, क्योंकि कश्मीर में अमरनाथ यात्रा में शामिल होने वालों को सेवाएं देने के लिए यहां से भी खच्चर वाले अपनी खच्चरें लेकर अमरनाथ यात्रा के बेस कैम्पों में पंजीकरण करवा लेते हैं।
अधिकारी बताते हैं कि अमरनाथ यात्रा में प्रतिवर्ष शामिल होने वाली 10 हजार के करीब खच्चरों में से 8,000 के करीब कश्मीर के लोगों के पास हैं।
इतना जरूर था कि वैष्णोदेवी और अमरनाथ यात्रा में अपनी सेवाएं देने वाले खच्चरों के सिर्फ वैष्णोदेवी में 40 टन प्रतिदिन के गोबर से निपटने के लिए श्राइन बोर्ड ने वेस्ट मैनेजमेंट की व्यवस्था की है जिसके लिए अब बायो गैस प्लांट भी स्थापित करने पड़े हैं।