वैश्विक हिंदी परिवार ने किया भारत यात्रा पर आए प्रवासी विद्यार्थियों का स्‍वागत

केन्द्रीय हिन्‍दी संस्थान और वैश्विक हिंदी परिवार (अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद) द्वारा दिनांक बुधवार 26 अक्‍टूबर को सुरेखा चोफला के नेतृत्व में कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर भारत यात्रा पर आए विद्यार्थियों सहित 16 लोगों की टीम का स्‍वागत किया गया। प्रवासी भवन नई दिल्ली में आयोजित इस कार्यक्रम के मौके पर कई गणमान्‍य नागरिकों ने अपने विचार प्रकट किए।
धीरे धीरे हम लिखे जाएंगे

इस दौरान केन्द्रीय हिन्दी संस्थान दिल्‍ली के सेवानिवृत निदेशक प्रोफेसर महावीर सरन जैन ने कहा कि भारत 22 परिगणित भाषाओं का देश हैं। लेकिन हिन्दी की एकतरफा बोधगम्य उपभाषाओं के माध्‍यम से भारत के नागरिक हिन्‍दी में संवाद करते हैं।

उन्‍होंने कहा कि दूसरी तरफ चीन भी बहुभाषिक देश हैं। यहां गान, मगंग, मिनाम, फुथेमो, मिरबई, शेृगानीज़, वू, केन्टेनीज़ यबए, बुएता, डोंग, मोन्गोई, थूज़ा, तिब्बती, चीनी आद् अनेक भाषाएं बोली जाती हैं। मगर चीन के ज्‍यादातर नागरिक अपनी भाषा मंदारिन में ही संवाद करते हैं।

जब भारतीय भाषाओं की विवेचना की जाती है, तो विभिन्‍न मंच भेदभावपूर्ण दृष्‍टि अपनाते हैं, वहीं, वे व्‍यावहारिक हिन्दी के समय मौन धारण कर लेते हैं।
Edited: By Navin Rangiyal

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