लद्दाख नेतृत्व का प्रतिनिधित्व करने वाली लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के पदाधिकारी वर्तमान में राष्ट्रीय राजधानी में मौजूद हैं। उन्होंने सोमवार को केंद्र सरकार के साथ नए दौर की बातचीत के बाद घटनाक्रम को महत्वपूर्ण बताते हुए 'आमरण अनशन' के कार्यक्रम को अस्थायी रूप से रोक दिया है। उसने कहा कि सरकार लद्दाख को संविधान की 6ठी अनुसूची में शामिल करने, इसे राज्य का दर्जा देने और लद्दाख क्षेत्र के लिए एक विशेष लोक सेवा आयोग की स्थापना की मांगों पर चर्चा करने के लिए सहमत हो गई है।
संयुक्त उपसमिति गठित करने का निर्णय : केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय की अध्यक्षता में लद्दाख से संबंधित उच्चाधिकार समिति (एचपीसी), एलएबी के 14 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल और केंद्रशासित प्रदेश के विभिन्न संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले केडीए की बैठक के दौरान इन समझौतों पर सहमति बनी थी। बैठक में मांगों के ब्योरे पर विचार करने की कवायद को आगे बढ़ाने के लिए एक संयुक्त उपसमिति गठित करने का भी निर्णय लिया गया।
वार्ता विफल होने पर आमरण अनशन : रेमन मैगसायसाय पुरस्कार से सम्मानित वांगचुक ने कहा कि हम 24 फरवरी को उपसमिति की बैठक और 25 फरवरी को लेह में हमारे नेताओं की वापसी तक इंतजार करेंगे। हम अगले दिन लेह शहर में एक विशाल जनसभा बुलाएंगे। हम लद्दाख के लोगों की मांगों को स्वीकार करने के लिए या तो सरकार को धन्यवाद देंगे या फिर वार्ता विफल होने की स्थिति में आमरण अनशन करेंगे।