बिलकीस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या के मामले में 11 दोषियों को सजा से छूट देने के गुजरात सरकार के फैसले को रद्द करने वाले उच्चतम न्यायालय के सोमवार को सुनाए गए आदेश के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं-
1. बिलकीस बानो द्वारा संविधान के अनुच्छेद-32 के तहत उच्चतम न्यायालय में दायर रिट याचिका विचारणीय है। बिलकीस बानो के लिए उच्च न्यायालय का रुख करना अनिवार्य नहीं था।
2. चूंकि पीड़िता द्वारा दायर की गई रिट याचिका पर हमारे द्वारा विचार किया गया है, सजा में छूट को चुनौती देने वाली जनहित याचिका के रूप में दायर की गई रिट याचिकाएं विचारणीय हैं।
3. दोषियों की सजा माफ करने के अनुरोध वाली अपीलों पर विचार करना गुजरात सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं था क्योंकि यह सीआरपीसी की धारा 432 के तहत (इस संबंध में फैसले लेने के लिए) उपयुक्त सरकार नहीं थी।
4. शीर्ष अदालत ने सजा में छूट पाए दोषियों में से एक की याचिका पर गुजरात सरकार को विचार करने का निर्देश देने वाली अपनी एक अन्य पीठ के 13 मई, 2022 के आदेश को अमान्य माना।
5. सजा में छूट का गुजरात सरकार का आदेश बिना सोचे समझे पारित किया गया।
6. गुजरात सरकार ने महाराष्ट्र राज्य की शक्तियों में अतिक्रमण किया क्योंकि केवल महाराष्ट्र सरकार ही सजा से छूट मांगने वाले आवेदनों पर विचार कर सकती थी।
7. गुजरात राज्य की 9 जुलाई 1992 की सजा से छूट संबंधी नीति मौजूदा मामले के दोषियों पर लागू नहीं होती।
8. बिलकिस बानो मामले में समय से पहले रिहाई के लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाने वाले एक दोषी के साथ गुजरात सरकार की मिलीभगत थी।
9. न्यायपालिका कानून के शासन की संरक्षक और एक लोकतांत्रिक राज्य का केंद्रीय स्तंभ है।
10. कानून के शासन का मतलब केवल कुछ भाग्यशाली लोगों की सुरक्षा करना नहीं है।
11. संविधान के अनुच्छेद 142 को उच्चतम न्यायालय द्वारा दोषियों के पक्ष में जेल से बाहर रहने की अनुमति देने के लिए लागू नहीं किया जा सकता है। (भाषा/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala