Supreme Court bail rule 1977 : अक्सर उद्धृत किया जाने वाला कानूनी सिद्धांत कि 'जमानत नियम है और जेल अपवाद है' पहली बार सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगभग 47 वर्ष पहले अपने ऐतिहासिक फैसले में प्रतिपादित किया गया था। इस सिद्धांत का शुक्रवार को वरिष्ठ आप नेता मनीष सिसोदिया को जमानत प्रदान करते समय शीर्ष न्यायालय ने हवाला दिया।
राजस्थान राज्य बनाम बालचंद : यह अवधारणा 1977 में न्यायमूर्ति वीआर कृष्ण अय्यर द्वारा राजस्थान राज्य बनाम बालचंद उर्फ बलिया मामले में लिखे गए फैसले में अस्तित्व में आई थी, और तब से अदालतों द्वारा बड़ी संख्या में मामलों में इसका उल्लेख किया गया है।
देश में जमानत के अभाव में जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों की संख्या बहुत बड़ी है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRBए) के आंकड़ों के अनुसार, 31 दिसंबर, 2022 तक देश में विचाराधीन कैदियों की कुल संख्या 4,34,302 थी। ALSO READ: दिल्ली के पूर्व डिप्टी CM मनीष सिसोदिया 17 महीने बाद जेल से बाहर आए
केजरीवाल समेत कई दिग्गज जेल में : इस विशाल संख्या में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, दिल्ली के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन, बीआरएस नेता के कविता, तमिलनाडु के पूर्व मंत्री वी सेंथिल बालाजी, टीएमसी नेता अनुब्रत मंडल और यूनिटेक के प्रवर्तक संजय और अजय चंद्रा जैसे कुछ जाने-माने लोग भी शामिल हैं। ALSO READ: मनीष सिसोदिया को जमानत से AAP को मिली बड़ी राहत, हरियाणा और दिल्ली चुनाव की चल रही तैयारी
अब समय आ गया है : सिसोदिया को जमानत देने के अपने शुक्रवार के फैसले में न्यायालय ने कहा कि इस सिद्धांत का कई बार उल्लंघन किया जाता है। न्यायालय ने रेखांकित किया कि अब समय आ गया है कि अधीनस्थ अदालतों और उच्च न्यायालयों को इस सिद्धांत को मान्यता देनी चाहिए कि जमानत नियम है और जेल अपवाद है।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया 17 माह से जेल में बंद थे और सुप्रीम कोर्ट द्वारा जमानत मिलने के बाद बाहर आए हैं। (एजेंसी/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala