क्या बोले प्रधानमंत्री : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि जो लोग बाहर गए हैं, उनसे जरा पूछिए कि कच्चातिवु क्या है? और यह कहां स्थित है? DMK सरकार उनके मुख्यमंत्री मुझे लिखते हैं - मोदी जी कच्चातिवु को वापस लाओ। यह एक द्वीप है लेकिन इसे दूसरे देश को किसने दे दिया। क्या ये मां भारती का हिस्सा नहीं था? ये इंदिरा गांधी के नेतृत्व में हुआ।
आखिर क्या है कच्चातीवु द्वीप का पूरा मामला-
कहां है कच्चातीवु द्वीप (Kachchativu island) : कच्चातिवु द्वीप रामेश्वरम से सिर्फ 25-30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कच्चातीवु पिछले सौ साल से श्रीलंका और भारत में विवाद का विषय रहा था। यह द्वीप 14वीं सदी में ज्वालामुखी विस्फोट से बना है। इस द्वीप पर तभी से रामेश्वरम के आसपास के मछुआरे मछली पकड़ते रहे हैं। साथ द्वीप एक सालाना उत्सव में भाग लेते रहे हैं।
1921 में श्रीलंका ने किया दावा : 1921 में श्रीलंका ने इस पर दावा कर दिया और इसे विवादित क्षेत्र बना दिया। हालांकि इसके बावजूद पारंपरिक रूप से श्रीलंका के तमिलों और तमिलनाडु के मछुआरे इसका इस्तेमाल करते रहे हैं लेकिन पिछले कुछ साल से श्रीलंका यहां भारतीय मछुआरों को न सिर्फ परेशान करता है बल्कि उसे गिरफ्तार भी कर लेता है।
इंदिरा गांधी ने किया गिफ्ट : 1974 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और श्रीलंका की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमाओ भंडारनायके के बीच हुए समझौते में यह द्वीप ने भारत ने श्रीलंका को गिफ्ट में दे दिया। उस समझौते की संसद ने कोई पुष्टि नहीं की थी, जिस पर सवाल उठता है कि इंदिरा गांधी को यह अधिकार किसने दिया था कि वह भारत की जमीन का एक टुकड़ा किसी अन्य देश को उपहार स्वरूप दे दे।
जयललिता ने बनाया था मुद्दा : जिस समय इंदिरा गांधी ने कच्चातीवु द्वीप श्रीलंका को उपहारस्वरूप दे दिया था तब स्टालिन के पिता एम. करुणानिधि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री थे। उस समय एम. करुणानिधि ने श्रीलंका को कच्चातीवु द्वीप देने का उस ढंग से विरोध नहीं किया था, जैसे उन्हें करना चाहिए था। इसके बाद जयललिता ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में कच्चातीवु द्वीप को मुख्य राजनीतिक मुद्दा बना लिया था।
सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन : इस मामले को लेकर तमिलनाडु में भारी विरोध होता रहा है और भारत सरकार से इसे वापस लेने की होती रही है। 1991 से ही तमिलनाडु सरकार इसे वापस लेने की मांग कर रही है। जयललिता सरकार भारत सरकार के फैसले को असंवैधानिक करार दिलवाने के लिए इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ले गई और मामला अब तक विचाराधीन है। Edited By : Sudhir Sharma