मुंबई में कबूतरों को दाना डालने पर प्रतिबंध लगाने के विरोध में कई संगठन और समाज सामने आ रहे हैं। इनका कहना है कि बेजुबान जानवरों को दाना नहीं डालने देना एक क्रूर समाज का काम है। जिस समाज और देश में गाय, कुत्तों और पक्षियों के लिए सबसे पहले रोटी निकाली जाती है, वहां इस तरह कबूतरों को दाना डालने पर रोक लगाए जाने से लोगों में भारी आक्रोश है। अब पक्षियों के पक्ष में जैन समाज सामने आया है। जैन समाज की तरफ से 13 अगस्त से भूख हड़ताल की तैयारी की जा रही है।
तिरपाल डालकर कबूतरों के लिए दाना डालने पर रोक : बता दें कि बीएमसी या मुंबई कॉर्पोरेशन ने यहां के दादर कबूतरखाना पर तिरपाल डालकर कबूतरों के लिए दाना डालने पर रोक लगा दी थी, इसके बाद अब जैन समुदाय में इसे लेकर जबरदस्त नाराजगी है। जैन मुनि नीलेश चंद्र विजय ने कहा है कि वह धर्म के खिलाफ किसी की नहीं सुनेंगे। उन्होंने यहां तक कहा है कि अभी हम शांतिप्रिय विरोध कर रहे हैं, लेकिन अगर बेजुबानों को दाना डालने पर लगाई गई रोक नहीं हटाई गई तो वे शस्त्र उठाने में भी नहीं हिचकेंगे। जानते हैं क्या है पूरा विवाद और हाईकोर्ट के किस आदेश पर मुंबई में कबूतरों को लेकर गरमाई है राजनीति।
क्या कहा जैन मुनि ने : मुंबई में कबूतरों को दाना डालने पर हाईकोर्ट ने जब से रोक लगाई है, तब से बीएमसी इस आदेश को लागू करने में लगा है। बीएमसी ने कबूतरों को दाना डालने पर अब तक 142 लोगों पर जुर्माना लगाकर करीब 68,700 रुपए की वसूली की है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने दाना खिलाने पर लगी रोक के खिलाफ लगाई गई याचिका पर कोई राहत नहीं दी थी। इस सब के बीच जैन समाज पांबदी को लेकर पीछे हटने को तैयार नहीं है। अदालती रोक तथा पुलिस और महानगर पालिका की निरंतर चल रही कार्रवाई के बाद भी जैन समुदाय के लोग दादर सहित अन्य कबूतरखानों के आसपास पक्षियों को दाना डालने पहुंच रहे हैं। इनता ही नहीं जैन मुनि नीलेश चंद्र विजय ने चेतावनी दी है कि जरूरत पड़ने पर शस्त्र भी उठाएंगे। उन्होंने कहा है कि धर्म के खिलाफ किसी की नहीं सुनेंगे।
भूख हड़ताल की चेतावनी : जैन मुनि ने जहां अपने स्टैंड को साफ कर दिया है तो वहीं दूसरी भूख हड़ताल की तैयारी भी हो रही है। जैन मुनि नीलेश चंद्र विजय के अनुसार कबूतरखाना बंद करने के फैसले के खिलाफ जैन समाज 13 तारीख से भूख हड़ताल पर बैठेगा। उन्होंने कहा कि यदि अदालत धर्म के खिलाफ जाएगी तो हम नहीं मानेंगे। इसके साथ-साथ ये चेतावनी भी दी है कि यदि जरूरत पड़ी तो हमारा शांतिप्रिय समाज हथियार भी उठाएगा। मुनि ने यह चेतावनी ऐसे वक्त पर दी है, जब यह पूरा मामला बॉम्बे हाईकोर्ट में है। अभी तक कोर्ट ने कबूतर खाने को बंद करने तथा पक्षियों को दाना न डालने के आदेश को बरकरार रखा है।
मुनि बोले-हम शांत नहीं बैठेंगे : जैन मुनि नीलेशचंद्र विजय ने कहा है कि हम सत्याग्रह और भूख हड़ताल का रास्ता अपनाएंगे। उन्होंने कहा जरूरत पड़ी तो हम धर्म के लिए हथियार उठाएंगे। उन्होंने कहा कि हम भारत के संविधान, अदालत और देवेंद्र फडणवीस का सम्मान करते हैं, लेकिन यदि बात हमारे धर्म के खिलाफ होगी तो हम अदालत का भी सम्मान नहीं करेंगे। मुनि ने कहा कि हम पर्युषण पर्व की समाप्ति होने के बाद अगला निर्णय लेंगे। अब हम शांत नहीं बैठेंगे। हम 13 तारीख को 10 लाख जैन बंधु भूख हड़ताल शुरू करेंगे।
क्या है कबूतरखाना विवाद : दरअसल, यह पूरा विवाद मुंबई में तब शुरू हुआ था जब बीएमसी ने दादर इलाके के एक कबूतरखाने में तिरपाल डाल दी थी। जैन समुदाय के लोग कबूतरों को खाना डालने को अपने धर्म का हिस्सा मानते हैं। वे इस जीव दया के तौर पर देखते हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बीएमसी से कहा कि सीमित तरीके से दाना डालने की अनुमति दी जाए। कबूतरों का दाना डालने पर पाबंदी के समर्थकों कहना है कि इनसे इंसानों को कई गंभीर बीमारियां होती है। मुंबई में 51 कबूतरखाने हैं। कोर्ट ने रोक लगाने के साथ एक्सपर्ट कमेटी से सुझाव मांगे हैं। लोगों के आंदोलित होने के बाद इस मुद्दे पर राजनीतिक भी गरमा रही है। रिपोर्ट : नवीन रांगियाल