तीन बीवियां और 7 बच्चों का बाप, बेटा भी आतंकी, कौन है अब्दुल करीम टुंडा, कैसे पड़ा टुंडा नाम?

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
गुरुवार, 29 फ़रवरी 2024 (13:32 IST)
Abdul Karim Tunda: अजमेर की टाडा कोर्ट ने गुरुवार को 1993 सीरियल बम ब्लास्ट केस में अब्दुल करीम टुंडा को बरी कर दिया। अदालत ने इस मामले में हमीदुद्दीन और इरफान को दोषी करार देते हुए उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई। टुंडा फिलहाल अजमेर की जेल में बंद है।

अब्दुल करीम टुंडा की 3 बीवियां और 7 बच्‍चे हैं। यहां तक कि उसका बेटा भी आतंकी है। जानते हैं कौन है अब्‍दुल करीम टुंडा और कैसे उसका नाम टुंडा पड़ गया।

इन पांच शहरों में हुए थे ब्‍लास्‍ट : अयोध्य में बाबरी विध्वंस के बाद 1993 में कोटा, लखनऊ, कानपुर, हैदराबाद, सूरत और मुंबई की ट्रेनों में सीरियल ब्लास्ट हुए थे। टुंडा इन्ही मामले में आरोपी था। उसे लश्कर का बम एक्सपर्ट माना जाता है। लश्कर-ए-तैयबा के आंतकवादी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा को 1996 में सोनीपत में हुए सिलसिलेवार 2 बम धमाकों के मामले में अक्टूबर 2017 में जिला एवं सत्र न्यायालय ने उम्रकैद और 1 लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी।

और टुंडा नाम हो गया फेमस : 40 वर्ष की आयु में जेहादी तत्वों के साथ शामिल होने से पहले टुंडा देश में कई स्थानों पर रहा और कई काम किए। उसने दिल्ली स्थित एक बैंक की शाखा में सुरक्षा गार्ड के रूप में भी काम किया। उसने कपड़े व्यापारी के रूप में अहमदाबाद में काम करने के साथ ही आगरा, इटारसी और खंडवा में विभिन्न काम किए। 1985 में वह राजस्थान के टोंक शहर गया, जहां उसने एक मस्जिद में काम शुरू किया। टोंक में एक पाइप बम बनाने के दौरान उसका हाथ कट गया, जिसके बाद उसके नाम टुंडा पड़ा।

टुंडा का बेटा भी आतंकी : खूंखार आतंकवादी अब्दुल करीम टुंडा की 3 बीवियां और 7 बच्चे हैं। उसकी सभी बीवियां पाकिस्तान में रहती हैं। टुंडा की दूसरी बीवी मुमताज से उसका तीसरा पुत्र अब्दुल वारिस भारत में एक आतंकवादी घटना में शामिल था। जम्मू कश्मीर पुलिस ने उसे एक बार गिरफ्तार किया था। वारिस भी लश्करे तैयबा का एक सक्रिय सदस्य था। उसने एक भारतीय जेल में 8 वर्ष की सजा काटी और उसके बाद पाकिस्तान लौटा।

लश्कर-ए-तैयबा के संपर्क में था टुंडा : उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में स्थित पिलखुवा में रहकर बड़ाई का काम करने वाले वाले टुंडा अपने रिश्तेदारों की हत्या का बदला लेने के लिए 1980 से ही आतंकी संघटनों से संपर्क में आ गया था। इसी वक्त उसने पाकिस्तान की एजेंसी आईएसआई से भी ट्रेनिंग ले ली और लश्कर-ए-तैयबा के संपर्क में आ गया। देश भर में उसके खिलाफ 33 आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिसमें 40 बम धमाके कराने का भी आरोप है।

6 दिसंबर 1999 को हुआ था सीरियल ब्लास्ट : 6 दिसंबर 1993 को ट्रेनों में विस्फोट के वक्त करीम टुंडा लश्कर का विस्फोटक विशेषज्ञ था। मुंबई के डॉक्टर जलीस अंसारी और अपने अन्य साथियों के साथ टुंडा ने ‘तंजीम इस्लाम उर्फ मुसलमीन’ संगठन बनाकर बाबरी विध्वंस का बदला लेने के लिए 1993 में मुंबई, लखनऊ, कानपुर, हैदराबाद और सूरत में ट्रेनों में बम धमाके किए थे। उस पर 1996 में दिल्ली में पुलिस मुख्यालय के सामने भी बम धमाके का आरोप भी है। इसके बाद देश की सुरक्षा एजेंसियों ने उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया। खास बात यह भी है कि साल 2001 में संसद पर हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान से जिन 20 आतंकियों के प्रत्यर्पण की मांग की थी, उसमें टुंडा का भी नाम शामिल था।
Edited by Navin Rangiyal
 

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