राजनीतिक हल्कों में कहा जा रहा है कि सभी की जुबान पर प्रवेश वर्मा का नाम है। ऐसे में उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाएगा। उन्हें दीयाकुमारी की तरह ही दिल्ली का उपमुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। इससे पहले भाजपा ने मध्यप्रदेश और राजस्थान में सभी दावेदारों को नजरअंदाज कर नए नाम पर भरोसा जताया था। हालांकि महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने इस कॉन्सेप्ट को गलत भी साबित किया।
सीएम पद के लिए संभावितों के नाम में मनजिंदर सिंह सिरसा, आशीष सूद, रेखा गुप्ता, जीतेंद्र महाजन, सतीश उपाध्याय और शिखा रॉय के नाम रेस में सबसे आगे चल रहे हैं। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा, वरिष्ठ नेता विजेंद्र गुप्ता, मनोज तिवारी समेत कई दिग्गज भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में बने हुए हैं। हालांकि पार्टी से जुड़े लोग दावा कर रहे हैं कि निर्वाचित विधायकों में से ही किसी को दिल्ली की कमान सौपी जाएगी। अभय वर्मा, मोहन सिंह बिष्ट, पवन शर्मा भी मुख्यमंत्री पद के प्रमुख दावेदार है।
दलित, पिछड़े, सिख, जाट, महिला, पूर्वांचली आदि सभी वर्गों से आने वाले इन दिग्गजों के मुख्यमंत्री पद पर दावे के पीछे ठोस कारण है। यहां डिप्टी सीएम बनाने की बात भी चल रही है। राष्ट्रीय राजधानी में भले ही सीएम पद के इतने दावेदार हो लेकिन यहां 7 विधायकों को ही मंत्री बनाया जा सकता है।
भाजपा के नवनिर्वाचित विधायक और पार्टी के राष्ट्रीय सचिव मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि जल्द ही भाजपा विधायक दल की बैठक के लिए पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की जाएगी। उन्होंने कहा कि नई सरकार 19-20 फरवरी के आसपास काम करना शुरू कर देगी। सिरसा को उम्मीद है कि भाजपा विधायक दल की बैठक 18-19 फरवरी के आसपास होगी। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि शपथ ग्रहण समारोह के बाद 20 फरवरी तक नई सरकार का गठन हो जाएगा।