Seismic activity on moon: चंद्रयान-3 के भूकंप-संकेतक उपकरण से प्राप्त आंकड़ों के इसरो के प्रारंभिक विश्लेषण में कहा गया है कि चंद्रमा की मिट्टी में भूकंपीय गतिविधि अतीत में उल्कापिंडों के प्रभाव या स्थानीय गर्मी से संबंधित प्रभावों के कारण हो सकती है। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि डेटा से अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए विस्तृत अध्ययन की आवश्यकता है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि भूकंप का पता लगाने वाले इल्सा को 2 सितंबर, 2023 तक लगातार संचालित किया गया, जिसके बाद इसे बंद कर दिया गया और वापस पैक कर दिया गया। इसके बाद लैंडर को प्रारंभिक बिंदु से लगभग 50 सेंटीमीटर दूर एक नए बिंदु पर स्थानांतरित कर दिया गया।
लेखकों ने लैंडर या रोवर की गतिविधियों से नहीं जोड़े जा सके 50 संकेतों को असंबद्ध घटनाएं माना। उन्होंने लिखा कि इल्सा द्वारा दर्ज किए गए असंबद्ध संकेत संभवतः उपकरण की निकटवर्ती सीमा पर सूक्ष्म उल्कापिंडों के प्रभाव, मिट्टी पर स्थानीय तापीय प्रभाव या लैंडर उप-प्रणालियों के भीतर तापीय समायोजन के कारण हो सकते हैं।
तापमान में परिवर्तन : सूक्ष्म उल्कापिंड एक बहुत छोटा उल्कापिंड या उल्कापिंड का अवशेष होता है, जिसका व्यास आमतौर पर एक मिलीमीटर से भी कम होता है। अनुसंधानकर्ताओं ने यह भी पाया कि अपने संचालन के दौरान इल्सा ने तापमान में (माइनस) 20 डिग्री सेल्सियस से लेकर (प्लस) 60 डिग्री सेल्सियस तक व्यापक परिवर्तन भी दर्ज किया।