नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता मिलने के बाद भारत ने समुद्री सुरक्षा को बढ़ाना-अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के रखरखाव के लिए एक मामला विषय को क्यों उठाया इस बारे में विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने विस्तार से जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि समुद्री मार्गों पर भारतीय व्यापार की निर्भरता और 26/11 को हुए मुंबई हमले को देखते हुए भारत के लिए समुद्री सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा हो जाता है।
विदेश सचिव श्रृंगला ने इस मुद्दें पर लिखे एक लेख में बताया है कि 1,200 द्वीप और 7,500 किलोमीटर से अधिक के समुद्र तट के साथ हिंद-प्रशांत महासागर हमेशा भारत के लोकाचार का केंद्र रहा है। उन्होंने गुजरात के लोथल का जिक्र करते हुए बताया कि वहां स्थित दुनिया की पहली गोदी को लेकर हुए पुरातात्विक सर्वे समुद्री देश के तौर पर भारत के हजारों साल पुराने कौशल की गवाही देते हैं।
लेख के अंत में विदेश सचिव ने यह भी बताया कि इससे पहले समुद्री सुरक्षा के मुद्दे पर यूएनएससी में चर्चा नहीं हो पाती थी, क्योंकि 5 स्थाई सदस्यों में से कोई न कोई इस पर चर्चा करने को लेकर असहमत रहता था। इस बार ऐसा नहीं हुआ भारत अपनी अध्यक्षता में इस विषय पर चर्चा करवाने में सफल रहा।
इससे वैश्विक मंच पर भारत की साख जवाबदेह देश के तौर पर स्थापित हुई है। अपने लेख में उन्होंने कहा कि हमें भरोसा है कि भारत की अध्यक्षता में वैश्विक समस्याओं पर चर्चा कर उनके समाधान निकाले जा सकते हैं, जो स्थाई सदस्य के तौर पर भारत की दावेदारी को मजबूती प्रदान करता है।