हरियाणा हिंसा की आग में सुलग रहा है, झुलस रहा है। नूंह जिले से शुरू हुई इस आग की लपटें गुरुग्राम तक पहुंच गई हैं। इस हिंसा में अब तक 5 लोगों की मौत हो चुकी है। सांप्रदायिक तनाव के लिए शासन प्रशासन पर भी सवाल उठने लगे हैं। यदि समय रहते सतर्कता बरती जाती तो शायद स्थिति इतनी विकट नहीं होती। दरअसल, तनाव की शुरुआत बजरंग दल के नेता मोनू मानेसर के वीडियो के बाद हुई थी, लेकिन स्थानीय प्रशासन ने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया।
मोनू मानेसर का वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर उकसाने-भड़काने का काम शुरू हो गया। मोनू ने इस वीडियो में कहा था कि वह भी बृजमंडल यात्रा में शामिल होगा। मोनू राजस्थान के भरतपुर जिले के नासिर और जुनैद की हत्या के मामले में आरोपी है, जो कि फरार है। नासिर और जुनैद को कुछ महीनों पहले एक बोलेरो गाड़ी में जिंदा जला दिया गया था। उन पर गौ तस्करी का आरोप लगाया गया था। हालांकि मोनू यात्रा में नहीं पहुंचा, लेकिन उसके वीडियो के वायरल होने के बाद उपजा तनाव हिंसा में बदल गया है और 5 जिंदगियों को लील गया।
पुलिस पर सवाल : सवाल यह भी उठता है कि जब सोशल मीडिया के माध्यम से तनाव का माहौल पैदा किया जा रहा था, तब पुलिस और प्रशासन क्यों चुपचाप बैठा रहा है? उसका खुफिया विभाग क्या कर रहा था? क्या उसे इस बात का अंदेश नहीं था कि बृजमंडल यात्रा के दौरान हिंसा भड़क सकती है? क्यों पुलिस ने समय रहते उचित कदम नहीं उठाए? यदि पुलिस समय रहते सक्रिय हो जाती तो शायद हिंसा भड़कती ही नहीं।
यह कहा भी जा रहा है कि जहां हिंसा हुई वहां पुलिसकर्मियों की संख्या काफी कम थी। जब भीड़ उग्र हुई तो पुलिसकर्मी अपनी जान बचाते नजर आए। दो होमगार्ड जवानों की जान उपद्रवियों ने ले ली। इस हिंसा में कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया, बड़ी संख्या में संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया। गुरुग्राम में एक मस्जिद को आग के हवाले कर दिया गया। बृजमंडल यात्रा में शामिल 2000 से ज्यादा महिला-पुरुषों को मंदिर में शरण लेनी पड़ी।
भरतपुर जिले में भी तनाव : हालांकि पुलिस ने हिंसा में लिप्त कुछ लोगों को हिरासत में ले लिया है। जांच भी शुरू हो गई है, लेकिन क्या अच्छा नहीं होता कि यह हिंसा होती ही नहीं। लेकिन, ऐसा हुआ नहीं। यात्रा में शामिल लोगों पर पथराव हुआ और उसके बाद यह हिंसा ने व्यापक रूप ले लिया। इस हिंसा का तनाव राजस्थान के भरतपुर जिले में भी नजर आया। यहां भी 4 तहसीलों में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई।
सियासत भी गर्माई : अब इस मामले में राजनीति की शुरू हो गई है। एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि इस पूरी हिंसा के लिए हरियाणा सरकार जिम्मेदार है। एक वांटेड व्यक्ति सोशल मीडिया पर वीडियो डालकर कहता है कि नूंह में जमा होइए, तो सरकार को इस पर ध्यान चाहिए था। लेकिन, लोगों को जमा होने दिया और स्थिति को कंट्रोल नहीं कर पाए। नूंह के विधायक आफताब अहमद ने भी कहा कि हमने प्रशासन को आगाह किया था कि भावनाएं भड़काई जा रही हैं। यहां जान-बूझकर माहौल क्रिएट किया गया।
मानेसर का बचाव : दूसरी ओर, हरियाणा के गृहमंत्री ने कहा कि इस मामले का मोनू मानेसर से कोई लेना-देना नहीं है। यात्रा सौहार्दपूर्ण माहौल में निकल रही थी, लेकिन अचानक उस पर हमला हो गया। फिलहाल हमारी प्राथमिकता स्थिति को सामान्य बनाने की है। आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी सरकार हिंसा के लिए हरियाणा को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि डबल इंजन की सरकार में मणिपुर भी 90 दिनों से जल रहा है।
बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात : हालांकि प्रभावित इलाकों में बड़ी संख्या में पुलिस और अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया है। हिंसा प्रभावित दोनों कस्बों में पुलिस ने फ्लैग मार्च भी किया। पुलिस ने कहा कि नूंह हिंसा और गुरुग्राम में मस्जिद पर हमले के बाद सभी धार्मिक स्थलों पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। नूंह और फरीदाबाद में बुधवार तक मोबाइल इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गई हैं। एहतियात के तौर पर गुरुग्राम, फरीदाबाद और पलवल जिलों में शैक्षणिक संस्थानों को मंगलवार को बंद रखने का आदेश दिया गया है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने सोमवार को कहा कि घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।