सोनिया-राहुल की पदयात्रा से कर्नाटक में कांग्रेस की सत्ता में वापसी का खुलेगा रास्ता?

विकास सिंह

गुरुवार, 6 अक्टूबर 2022 (19:40 IST)
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा इन दिनों कर्नाटक में है। कांग्रेस के नजरिए से कर्नाटक में बेहद महत्वपूर्ण भारत जोड़ो यात्रा में गुरुवार को कांग्रेस पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी भी शामिल हुई। वहीं शुक्रवार को पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी भी भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होगी। 
 
गुरुवार को कर्नाटक के मांड्या में भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी के साथ सोनिया गांधी भी पदयात्रा करती हुई नजर आई। राहुल गांधी ने पदयात्रा की मां के साथ अपनी तस्वीर ट्विटर पर साझा करते हुए लिखा कि “हम पहले भी तूफानों से कश्ती निकाल कर लाए हैं, हम आज भी हर चुनौतियों की हदें तोड़ेंगे, मिलकर भारत जोड़ेंगे”। 

ऐसे में जब कर्नाटक में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है तब गांधी परिवार के सदस्यों का भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होना क्या कर्नाटक में पार्टी को मजबूत करने की एक सोची समझी रणनीति है। क्या कर्नाटक में भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी के साथ सोनिया और प्रियंका गांधी के पदयात्रा करने से राज्य में कांग्रेस सत्ता में अपनी वापसी कर पाएगी, यह कुछ ऐसे सवाल है जो इस वक्त सियासत गलियारों में पूछे जा रहे है। 

कर्नाटक की राजनीति को 4 दशक से अधिक समय से करीब से देखने वाले राजनीतिक विश्लेषक और जागरण लेकसिटी यूनिवर्सिटी भोपाल के वाइस चासंलर डॉ. संदीप शास्त्री 'वेबदुनिया' से बातचीत में कहते हैं, “कांग्रेस के नजरिए से कर्नाटक में भारत जोड़ो यात्रा बहुत ही महत्वपूर्ण है। कांग्रेस अगर कहीं भाजपा को सीधा टक्कर दे सकती है तो वह राज्य कर्नाटक ही हैं। कर्नाटक में  अगले साल ही विधानसभा चुनाव होने हैं। कांग्रेस को लगता है कि अगर उनकी रणनीति ठीक हो तो कर्नाटक में जीतने का एक मौका है, इसलिए कांग्रेस और गांधी परिवार पूरी ऊर्जा कर्नाटक में लगा रहा है।  

राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संदीप शास्त्री आगे कहते हैं कि भारत जोड़ो यात्रा में आ रही भीड़ के बाद भी सवाल यहीं है कि रैली को मिला रहा सपोर्ट क्या मतों में बदल पाएगा, यह एक बड़ा प्रश्नचिन्ह है। हमने पहले भी देखा है कि रैली में बहुत लोग आते है लेकिन वह वोट में ट्रांसफर नहीं होता है। ऐसे में सवाल यहीं है कि क्या कांग्रेस इसे वोट में बदल पाएगी।

डॉ.संदीप शास्त्री आगे कहते हैं कि आप सिद्धारमैया के जन्मदिन की रैली देखे या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंगलुरु की रैली देखे या अभी भारत जोड़ो यात्रा की रैली को देखे तो लगेगा कि बहुत ही सपोर्ट है लेकिन क्या यह सपोर्ट एक जिज्ञासा (curiosity) है, क्या यह सपोर्ट मतों में बदल जाएगा यह देखना पड़ेगा। 

कर्नाटक में भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी राज्य की भाजपा सरकार पर खूब हमलावर है। पिछले दिनों मैसूर में राहुल ने बारिश के बीच अपना भाषण दिया और राज्य की बासवराज बोम्मई सरकार पर कई आरोप लगाए। भारत जोड़ो यात्रा के मंच से राहुल गांधी हर रैली में कहते नजर आते है कि भारत जोड़ो यात्रा में प्यार और भाईचारा मिलेगा जो भारत के इतिहास और डीएन में है।

वहीं गुरुवार को भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी की मां सोनिया गांधी के जूते के फीते को बांधती फोटो सोशल मीडिया पर भी तेजी से वायरल हो रही है। पार्टी के कई नेताओं इससे जुड़े वीडियों और तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की। सोशल मीडिया पर इसको लेकर कई तरह की प्रतिक्रिया भी देखने को मिल रही है।

वहीं सोनिया गांधी के भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने को लेकर कांग्रेस के नेता बहुत उत्साहित नजर आ रहे है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश कहते हैं कि सोनिया गांधी जी के इस यात्रा में शामिल होने से आज लोगों का उत्साह और बढ़ गया है। कर्नाटक में जनता की बहुत ही सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है।  
 
राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संदीप शास्त्री 'वेबदुनिया' से बातचीत में कहते हैं कि अगर देखे तो 2014 के बाद कांग्रेस का जनाधार खत्म होता जा रहा है और पार्टी सिकुड़ती जा रही है। 2014 के बाद कांग्रेस में चुनाव में जीत की भूख नहीं दिख रही है जबकि भाजपा लगातार बढ़ती जा रही है। भारत जोड़ो यात्रा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और समर्थकों को एक साथ जोड़ने और उत्साह बढ़ाने का एक प्रयत्न है। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि एक तरह से ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के साथ कांग्रेस की ‘उत्साह बढ़ाओ यात्रा’ भी है”।  
 
वहीं डॉ.संदीप शास्त्री आगे कहते हैं कि भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कांग्रेस पार्टी में जो हो रहा है उसके आप नजरअंदाज नहीं कर सकते है। एक तरफ आप देश को जोड़ने की कोशिश कर रहे है,अपने समर्थकों का उत्साह बढ़ाना चाह रहे है, वहीं क्या पार्टी अंदर से खोखली होती जा रही है। जिस तरह से कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में राजस्थान का एपिसोड हुआ हो या गोवा में पार्टी की टूट। जिस तरह से पार्टी अपनी आतंरिक समस्यओं से जूझ रही है और उसका समाधान ढूंढने में मुश्किल हो रहा है।

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