मौलाना महमूद मदनी ने जिहाद के नाम पर हिंसा करने वालों को सख्त चेतवानी दी है। उन्होंने कहा कि कुछ संगठन इस्लाम के नाम पर जिहाद की गलत व्याख्या कर आतंकवाद और हिंसा का प्रचार कर रहे हैं। यह न तो देश के हित की दृष्टि से और न ही इस्लाम के आदेशानुसार हमारे सहयोग के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि जिहाद के नाम पर जो भी बवाल काटने की कोशिश करेगा उसका सहयोग नहीं किया जाएगा चाहे फिर वो कोई भी हो।
दरअसल, दिल्ली के रामलीला मैदान में जमीयत उलमा-ए-हिंद का तीन दिवसीय महा अधिवेशन बीते रविवार को संपन्न हुआ।इस अधिवेशन में जमीयत ने एक प्रस्ताव पारित किया कि, जिसमें कहा गया कि जिहाद के नाम पर हिंसा और उग्रवाद फैलाने वाले संगठन हमारे सहयोग के हकदार नहीं हैं। हम उनका किसी प्रकार से सहयोग नहीं करेंगे। महमूद मदनी ने कहा कि जिहाद की गलत व्याख्या कर आतंकवाद और हिंसा का प्रचार करने वाले संगठन न तो देश हित में और न ही इस्लामी तौर पर किसी भी मदद के हकदार हैं। उन्होंने कहा कि मातृभूमि के लिए बलिदान देना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है।
मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि इस्लाम में जाति व्यवस्था न होने के बावजूद पसमांदा (पिछड़ी जातियों) का जमीनी स्तर पर अस्तित्व है। मदनी ने पसमांदा मुस्लिम को लेकर सरकार के हाल के कदमों का स्वागत करते हुए कहा कि उनके साथ जाति के नाम पर जो ज्यादतियां हुई हैं उस पर हमें शर्मिंदगी है। इसे दूर करने के लिए काम करने का संकल्प लिया जाए।
अधिवेशन के अंतिम दिन देशवासियों के नाम संदेश को पढ़ते हुए राज्यसभा के पूर्व सदस्य ने कहा, तथाकथित संगठन इस्लाम के नाम पर जिहाद की गलत व्याख्या कर आतंकवाद और हिंसा का प्रचार करते हैं।
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