लोकसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले विपक्षी दलों के गठबंधन की चौसर सजाई जा रही है। बिखरे हुए विपक्ष को एकजुट कर एक मंच पर लाने की कवायद तेज हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्ष की लड़ाई को धार देने का जिम्मा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने हाथों में संभाल लिया है।
बुधवार को दिल्ली में कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मिलने के बाद नीतीश कुमार ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की। अरविंद केजरीवाल से मुलाकात के दौरान बिहार के डिप्टी सीएम और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव भी साथ रहे।
नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि “इस वक्त देश बहुत मुश्किल दौर से गुजर रहा है। शायद आजादी के बाद देश की सबसे भ्रष्ट सरकार देश के अंदर है। एक आम आदमी के लिए अपने घर का खर्चा चलाना बहुत मुश्किल हो रहा है। इसलिए बहुत जरूरी है कि सभी विपक्ष और सारा देश एक साथ आकर इक्ठा होकर केंद्र के अंदर सरकार बदले और ऐसी सरकार आनी चाहिए जो देश को विकास दे सके और देश की समस्याओ का हल निकाल सके”।
अरविंद केजरीवाल ने आगे कहा कि “नीतीश जी ने पहल की है और सबको इकट्ठा कर रहे हैं. विपक्ष को इकट्ठा कर रहे हैं, बहुत अच्छा कर रहे है। हम पूरी तरह से इनके साथ है। जिस तरह यह लोगों को जोड़ रहे है हम इनके साथ है।
वहीं जब मीडिया ने नीतीश कुमार के पीएम बनने की क्वालिटी पर अरविंद केजरीवाल से सवाल पूछा तो नीतीश कुमार ने बीच में टोकते हुए कहा कि ई सब अभी नहीं पूछिए। वहीं अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अभी आप लोगों के मन में ढेर सारे प्रश्न होंगें, उन सारे प्रश्नों के जवाब एक शाम की मुलाकात में नहीं दिए जा सकते। जैसे-जैसे हम रास्ते में चलेंगे वैसे-वैसे सभी प्रश्नों के जवाब दे देंगे।
राहुल-नीतीश को मिलेगा अरविंद केजरीवाल का साथ?-2024 के लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार की पहल पर विपक्ष दलों का जो महागठबंधन बनता हुआ दिखा रहा है उसके सामने कई सवाल है। पहला बड़ा सवाल यही है कि क्या राहुल गांधी और नीतीश कुमार जिस ऐतिहासिक विपक्ष की एकता की बात कर रहे है उसमें उनको अरविंद केजरीवाल का साथ मिलेगा।
दरअसल विपक्ष दलों में कांग्रेस के बाद आम आदमी पार्टी एक मात्र पार्टी है जिसकी दो राज्यों में सरकार है। राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करने के बाद आम आदमी पार्टी अब सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टारगेट कर रही है। अरविंद केजरीवाल खुद को प्रधानमंत्री नरेंंद्र मोदी के सामने एक चेहरे के तौर पर स्थापित कर रहे है। ऐसे में सवाल यही है कि क्या केजरीवाल राहुल गांधी या नीतीश कुमार की अगुवाई वाले किसी गठबंधन का हिस्सा बनेंगे।
यह सवाल इसलिए भी बड़ा है क्योंकि आम आदमी पार्टी जिस दिल्ली और पंजाब में सत्ता में काबिज है वहां कांग्रेस उसकी मुख्य विरोधी दल है और कांग्रेस लगातार अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी पर हमलावर नजर आती रही है। वहीं मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जहां साल के आखिरी में लोकसभा चुनाव से ठीक पांच महीने पहले विधानसभा चुनाव होने है वहां आम आदमी पार्टी और कांग्रेस आमने सामने है। ऐसे में आम आदमी पार्टी कैसे गठबंंधन में शामि होगी यह बड़ा सवाल है।
राहुल गांधी से लेकर नीतीश कुमार और अरविंद केजरीवाल भले ही एक सुर में कह रहे है कि सब तय हो गया है और एक साथ आगे बढ़ेंगे लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि 2024 में विपक्ष का चेहरा कौन होगा, इस पर विपक्ष के सभी बड़े नेता चुप्पी साधे हुए है। बड़े नेताओं की यही चुप्पी ही महागठबंधन पर सबसे बड़ा सवाल है।
अगर 2024 के लोकसभा चुनाव में अगर विपक्ष को मोदी के चेहरे को चुनौती देनी है तो उसको एक चेहरा तलाशना होगा और यहीं चेहरा कौन होगा, इसको तय करना ही विपक्षी नेताओं के सामने किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है।