इस रफ्तार तक पहुंचने के लिए रूसी रेलवे ने कई तकनीकी और प्रौद्योगिकी आधारित समाधानों का प्रस्ताव दिया है। इनमें रेलवे की पटरियों की मरम्मत के साथ-साथ उस जमीन को दुरुस्त करना भी शामिल है, जहां रफ्तार संबंधी सीमाएं हैं। चूंकि भारतीय रेलवे के पास ऐसे डिब्बे नहीं हैं, जो 200 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकें इसलिए नए किस्म के यात्री डिब्बों को भी मंजूरी देने की जरूरत होगी।
यह भी पाया गया है कि ट्रेन को एक पटरी से दूसरी पर ले जाने के लिए रेल रोड स्विच इस्तेमाल किए जाते हैं। इस क्षेत्र के स्टेशनों पर यह ये स्विच 200 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार के लिए उपयुक्त नहीं हैं इसलिए अलग किस्म के स्विच की भी सिफारिश की गई है। पूरे खंड के लिए रेडियो संवाद के बजाय डिजिटल प्रौद्योगिकी संवाद तंत्र का भी प्रस्ताव दिया गया। इसके अलावा तीव्र गति के रेल तंत्र के लिए उचित सुरक्षा इंतजामों के भी सुझाव दिए गए।