खान ने फेसबुक और ट्विटर पर अपनी पोस्ट में कहा कि यदि भारत के मुसलमानों ने उन पर हो रहे जुल्मों की शिकायत अरब और मुस्लिम देशों से कर दी तो देश में तूफान आ जाएगा। खान की इस पोस्ट का चौतरफा विरोध हो रहा है। हालांकि यह समझ से परे है कि इस समय जब पूरी मानवता खतरे में हैं जफरुल की इस पोस्ट के क्या मायने हैं? क्या वे देश में धार्मिक विद्वेष फैलाना चाहते हैं?
जफरूल ने अपनी पोस्ट को ट्विटर पर कुवैत टाइम्स न्यूज, अरब टाइम्स, गल्फ न्यूज आदि को टैग किया है। जफरुल इस्लाम ने समर्थन के लिए कुवैत को धन्यवाद देते हुए लिखा है कि ये कट्टरपंथी भूल गए कि भारत के मुसलमानों की अरब और मुस्लिम देशों में काफी लोकप्रियता है।
उन्होंने आगे लिखा कि भारतीय मुसलमानों ने सदियों से इस्लाम की सेवा की है। उनकी गिनती इस्लाम के अच्छे विद्वानों में होती है। इस सिलसिले में जफरुल ने शाह वलीउल्लाह देहलवी, इकबाल, अबुल हसन नदवी, वहीदुद्दीन खान, जाकिर नाइक का नाम भी लिया है और कहा है कि इनका नाम मुस्लिम देशों में बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है।
दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष ने लिखा है कि भारतीय मुसलमानों ने अब तक अरब और मुस्लिम जगत से आपके हेट कैम्पेन, लिंचिंग और दंगों की शिकायत नहीं की है और जिस दिन उन्हें ऐसा करने के लिए विवश किया जाएगा तो कट्टरपंथियों को तूफान का सामना करना पड़ेगा।
हालांकि ट्विटर पर लोगों ने उनका समर्थन किया तो आड़े हाथों भी लिया। मिर्जा सरफराज नामक व्यक्ति ने लिखा कौन खड़ा है? भारत का आंतरिक मामला कहकर कुवैत पहले ही बैकफुट पर है। वहीं, अविनाश तिवारी ने गृह मंत्रालय को ट्वीट करते हुए लिखा कि क्यों आप इस व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। वह भारत को धमकी दे रहा है और भारत के मामलों में बाहरी देशों के दखल की बात कर रहा है।