Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि: साधना के 9 खास नियम

WD Feature Desk

बुधवार, 17 सितम्बर 2025 (09:47 IST)
Shardiya Navratri 2025: नवरात्रि का पर्व भक्ति और साधना का पर्व है. साल में चार नवरात्रि आती हैं- चैत्र और आश्विन (शरद ऋतु) में आने वाली नवरात्रि गृहस्थों के लिए होती हैं, जबकि आषाढ़ और पौष में आने वाली गुप्त नवरात्रि साधकों और संन्यासियों के लिए होती हैं. इस पवित्र समय में साधना करते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है, ताकि आपकी साधना सफल हो सके. आइए जानते हैं 9 ऐसी ही खास बातें:
 
1. व्रत का महत्व
नवरात्रि में कठोर उपवास और व्रत रखने का विशेष महत्व है। उपवास से शरीर की अंदरूनी सफाई होती है। इन नौ दिनों में मांसाहार, मद्यपान और ब्रह्मचर्य का पालन करना अनिवार्य माना गया है। उपवास रखकर की गई साधना से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
 
2. रात्रि में साधना क्यों?
'नवरात्रि' शब्द का अर्थ है 'नौ विशेष रातें'। इन रातों में प्रकृति के कई अवरोध खत्म हो जाते हैं, जिससे की गई साधना का फल तेज़ी से मिलता है। दिन की तुलना में रात में मंत्रों और आवाज़ की शक्ति अधिक होती है, इसलिए ये रातें साधना के लिए सबसे शुभ मानी जाती हैं।
 
3. सही देवी का चयन
यदि आप नवरात्रि में कोई साधना कर रहे हैं, तो सबसे पहले आपको अपनी साध्य देवी का चयन करना होगा। नवरात्रि में मुख्य रूप से नवदुर्गा और दश महाविद्या की साधना की जाती है। इन रातों में किसी भी तरह की आसुरी या अन्य साधना का विधान नहीं है।
 
4. दो तरह की साधनाएं
नवरात्रि में मुख्य रूप से दो तरह की साधनाएं प्रचलित हैं:
दक्षिणमार्गी साधना: यह साधना योग और गायत्री से संबंधित है, जो सात्विक और सरल मानी जाती है।
वाममार्गी साधना: यह शैव, नाथ और शाक्त संप्रदायों में प्रचलित तांत्रिक साधना है।
गुरु होना जरूरी: किसी भी तरह की साधना के लिए एक योग्य गुरु और सही ज्ञान का होना अत्यंत आवश्यक है।
 
5. नवदुर्गा साधना
यह सबसे सामान्य और सात्विक साधना है, जिसे गृहस्थ लोग करते हैं। इसमें मां दुर्गा के नौ रूपों- शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा, यज्ञ और हवन द्वारा की जाती है।
 
6. दश महाविद्या साधना
यह तांत्रिक साधना है, जो मुख्य रूप से गुप्त नवरात्रि में की जाती है। इसमें काली, तारा, त्रिपुरसुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुरभैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला की पूजा होती है।
 
7. तांत्रिक साधना से जुड़ी सावधानी
तांत्रिक साधना करने से पहले इसका उद्देश्य और सही तरीका जानना ज़रूरी है। किसी भी तरह की गलती से बचने के लिए किसी योग्य और अनुभवी गुरु के मार्गदर्शन में ही यह साधना करें।
 
8. साधारण साधना का तरीका
गृहस्थ लोगों को नवरात्रि में साधारण साधना ही करनी चाहिए। इसमें घटस्थापना करके, अखंड ज्योत जलाना, दुर्गा सप्तशती या चंडी पाठ करना शामिल है। नौ दिनों तक व्रत और संयम का पालन करें और अंतिम दिन कन्या पूजन के बाद हवन करके पूजा का समापन करें।
 
9. साधना में सावधानियां

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