आज के युग में सुलक्षणा, सुकन्या और सुशील पत्नी पाने की चाह किसे नहीं है। यदि कोई अविवाहित जातक ऐसी ही अर्धांगनी का स्वप्न देखता है तो उसे श्री दुर्गा जी का ध्यान करते हुए घी का दीपक जलाकर किसी एकांत स्थान में स्नान शुद्धि के उपरांत नित्य प्रातःकाल उपरोक्त पंचपदी का उच्च स्वर में 108 बार पाठ करना चाहिए। जगत्जननी माता दुर्गा जी की कृपा से सुयोग्य पत्नी की प्राप्ति शीघ्र हो जाती है।
तारिणींदुर्गसं सारसागरस्य कुलोद्भवाम्॥
पाठ के समय शुद्धता रखनी चाहिए। दुर्गाजी की नित्य सामान्य पूजा जल, पुष्प, फल, मेवा, मिष्ठान्न, रोली व कुंकुम या लाल चंदन, गंध आदि से करते रहना चाहिए। सप्ताह में कम से कम एक ब्राह्मण व दो कन्याओं को भोजन करना चाहिए।
प्रतिदिन पाठ के उपरांत कम से कम 11 आहुतियां दुर्गाजी के नाम से देनी चाहिए। पूर्ण श्रद्धा, विश्वास और भक्ति भावना के साथ इस तरह के विधान का पालन करने से मनोकामना पूर्ण होती हैं। नवदुर्गा यंत्र या दुर्गा बीसा यंत्र की स्थापना पाठ के प्रथम दिन करनी चाहिए।