Durga Ashtami 2025: चैत्र हो या शारदीय नवरात्रि, दोनों में ही अष्टमी यानी आठवें दिन मां महागौरी की पूजा का विशेष विधान है। इस दिन की पूजा, हवन और कन्या भोज के बाद ही कई घरों में नवरात्रि के व्रत का पारण किया जाता है। महागौरी शांत और सौम्य रूप में भक्तों के कष्ट दूर करती हैं।
2. भोग और फूल
भोग: माँ महागौरी को नारियल, पूरी और हलवे का भोग प्रिय है।
फूल: उन्हें सफेद और चमेली के फूल अर्पित करना शुभ माना जाता है।
मंत्र जप के बाद दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
4. अंत में
- हवन के बाद माँ की आरती करें और कथा का श्रवण करें।
माँ महागौरी की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, माँ महागौरी ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए हजारों वर्षों तक कठोर तपस्या की थी। इस कठिन तपस्या के कारण उनका शरीर काला (श्यामल) पड़ गया था। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनके शरीर को गंगा के पवित्र जल से धोया। गंगाजल के स्पर्श से उनका वर्ण विद्युत के समान अत्यंत कांतिमान और गौर हो उठा। इसी कारण वह महागौरी के नाम से विख्यात हुईं।