नवरात्रि विशेष : इस पवित्र श्लोक और क्षमा प्रार्थना के बिना अधूरी मानी जाएगी आपकी दुर्गा पूजा, अवश्‍य पढ़ें

नवरात्रि में इस पवित्र श्लोक के बिना अधूरी मानी जाएगी आपकी दुर्गा पूजा, आइए पढ़ें श्लोक एवं क्षमा प्रार्थना :-
 
मां दुर्गा के श्लोक 
 
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयम्‌ ब्रह्मचारिणी। 
तृतीयं चंद्रघण्टेति कुष्मांडेति चतुर्थकं॥
पंचमं स्कंदमातेति, षष्टम कात्यायनीति च। 
सप्तमं कालरात्रीति, महागौरीति चाष्टमं॥
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा प्रकीर्तिताः॥
 
क्षमा प्रार्थना 
 
अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेहर्निशं मया। 
दासोयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वरि॥
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्‌। 
पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वरि॥
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि। 
यत्पूजितं मया देवि परिपूर्णं तदस्तु मे॥ 
अपराधशतं कृत्वा जगदम्बेति चोच्चरेत। 
यां गतिं सम्वाप्नोते न तां बह्मादयः सुराः॥
सापराधो स्मि शरणं प्राप्तस्त्वां जगदम्बिके। 
इदानीमनुकम्प्योहं यथेच्छसि तथा कुरु॥ 
अक्षानाद्विस्मृतेर्भ्रान्त्या यन्नयूनमधिकं कृतम्‌ ॥
तत्सर्वं क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्वरि॥
कामेश्वरि जगन्मातः सच्चिदानन्दविग्रेहे। 
गृहाणार्चामिमां प्रीत्या प्रसीद परमेश्वरि॥
गुह्यातिगुह्यगोप्त्री त्वं गृहाणास्मत्कृतमं जपम्‌। 
सिद्धिर्भवतु मे देवि त्वत्प्रसादात्सुरेश्वरि॥
 
(समाप्त) 

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