Shardiya navratri 2025: 22 सितंबर सोमवार से शारदीय नवरात्रि प्रारंभ होकर 01 अक्टूबर 2025 को समाप्त होगी। इस दौरान माँ दुर्गा की पूजा के साथ ही कन्या पूजन और कन्या भोज का आयोजन किया जाता है। यहाँ जानिए इसके नियम और विधि।
कन्या पूजन और भोज के नियम:-
आयु: कन्याओं की आयु 10 साल से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
संख्या: कम से कम 9 कन्याओं को भोजन अवश्य कराना चाहिए।
भोजन: भोजन ऐसा बनाएं जो कन्याओं को तृप्त करे, जैसे- पूरी, हलवा, खीर और चने की सब्जी।
भेंट: कन्याओं को भरपेट भोजन कराने के बाद उन्हें दक्षिणा और भेंट (उपहार) अवश्य दें।
आमंत्रण: कन्याओं को उनके घर जाकर सम्मानपूर्वक निमंत्रण दें।
सम्मान: किसी भी प्रकार से कन्याओं को दुखी न करें और उनके साथ अच्छा व्यवहार करें।
किस दिन करें कन्या भोज और पूजन?
कन्या पूजन और भोजन का आयोजन उस दिन होता है, जिस दिन घर में नवरात्रि का पारण किया जाता है। अधिकतर घरों में यह सप्तमी, अष्टमी या नवमी के दिन होता है।
कन्याओं के रूप: कुमारी पूजा में कन्याएँ देवी दुर्गा के नौ विभिन्न रूपों को दर्शाती हैं:
1. कुमारिका (1-2 साल)
2. त्रिमूर्ति (3 साल)
3. कल्याणी (4 साल)
4. रोहिणी (5 साल)
5, कालिका (6 साल)
6. चंडिका (7 साल)
7. शांभवी (8 साल)
8. दुर्गा (9 साल)
9. सुभद्रा (10 साल)
कन्या भोज का पुण्य: कन्याओं को उनकी आयु के अनुसार पूजने से विभिन्न पुण्य प्राप्त होते हैं:
1-2 साल की कुमारी: धन का आशीर्वाद
3 साल की त्रिमूर्ति: धान्य (अन्न) का आशीर्वाद
4 साल की कल्याणी: सुख का आशीर्वाद
5 साल की रोहिणी: सफलता का आशीर्वाद
6 साल की कालिका: यश का आशीर्वाद
7 साल की चंडिका: समृद्धि का आशीर्वाद
8 साल की शांभवी: पराक्रम का आशीर्वाद
9 साल की दुर्गा: वैभव का आशीर्वाद
10 साल की सुभद्रा: सौभाग्य का आशीर्वाद
कैसे करें कन्या पूजा?
1. पूजन: कन्या भोज से पहले कन्या पूजन किया जाता है।
2. निमंत्रण: कम से कम 9 कन्याओं को आमंत्रित करें। उनके साथ एक छोटे लड़के (लांगुरिया) को भी बुलाएँ, जिसे हनुमानजी का रूप माना जाता है।
3. स्वागत: सभी कन्याओं को कुश के आसन या लकड़ी के पाट पर बैठाकर उनके पैरों को पानी या दूध से धोएँ।
4. श्रृंगार: उनके पैर साफ करके महावर लगाएँ और चुनरी ओढ़ाकर उनका श्रृंगार करें।
5. पूजा: माथे पर अक्षत, फूल और कुमकुम का तिलक लगाकर उनकी पूजा और आरती करें।
कैसे कराएं कन्या भोज?
1. कन्या पूजा के बाद कन्या भोज कराएं।
2. भोजन: लांगुरिया सहित सभी कन्याओं को खीर, पूरी, हलवा और चने की सब्जी आदि भोजन कराएं।
3. दक्षिणा और विदाई: भोजन के बाद उन्हें दक्षिणा, रुमाल, चुनरी, फल और खिलौने आदि भेंट देकर उनका चरण स्पर्श करें।
5. आशीर्वाद: उन्हें तिलक करके, हाथ में मौली बांधकर और उपहार देकर उनका आशीर्वाद लें और खुशी-खुशी विदा करें।