1.पारा दुर्गा पूजा : पारा दुर्गा यानि स्थानीय दुर्गा पूजा जो सामान्यत: पंडालों के कम्यूनिटी हाल में होती है। इसमें घर के बाहर चौराहों या विशेष जगहों पर भव्य पांडाल लगाए जाते हैं और उसमें रोशनी एवं कला का बेहतरीन प्रदर्शन किया जाता है। पांडालों में देवी मां की सुन्दर और मनोहारी मूर्तियां रखी होती है।
इतिहास :
बंगाली हिंदुओं के लिए दुर्गा और काली की आराधना से बड़ा कोई उत्सव नहीं है। यह उत्सव प्राचीनकाल से ही चला आ रहा है। शाक्त धर्म का गढ़ रहा है असम और बंगाल। दरअसल, नारी शक्ति की पूजा करने वाले शाक्त संप्रदाय का समूचे बंगाल में आधिपत्य रहा था। अविभाजित बंगाल में माता के कई शक्तिपीठ भी हैं।